कोरदा में बुजूर्गो के समय से चली आ रही अनोखा पोला पर्व आज भी कायम
कोरदा में बुजूर्गो के समय से चली आ रही अनोखा पोला पर्व आज भी कायम
पहली बार कोरदा की अनोखे पोले पर्व में पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी
गर्वित मातृभूमि/बलौदा बाजार:- जिला बलौदाबाजार के ग्राम कोरदा में 124 वर्षों से पोला पर्व महोउत्सव मनाने का अनोखी परम्परा है जो आज भी कायम है।जिससे देखने के लिए आसपास के लवन, डोंगरा, अहिल्दा, बरदा, जामडीह, कोलिहा, सरखोर, सोलहा, मुण्डा, आदि गांवों के लोग बडी संख्या में पहुंचते है। लंबे वर्षों से चली आ रही अनोखी परंपरा पोला पर्व में जनप्रतिनिधियो के अलावा कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचते किंतु जैसे ही आम जनता के बीच सरल सहज से मिलने वाले कलेक्टर रजत बंसल को इस अनोखी पोला पर्व की जानकारी मिली सहज रूप से देखने बिना कोई तामझाम के कोरदा पहुंच गए। कलेक्टर रजत बंसल ने भी माना कि शायद पूरे प्रदेश में कही भी ऐसी परम्परा देखने को नही मिलेगी। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को अच्छा घरघुंदिया, डोंगा, फुग्गा व मिट्टी के खिलौना बनाने वाले का उत्साह वर्धन कर बधाई दिया। और आगे भी परपरा को कायम रखने और इससे भी बढ़िया आयोजित करने की बात कही। ग्रामीणों से चर्चा के दौरान यहां के लोगो ने बताया कि माह भर पहले से ही पोला पर्व की तैयारी में जुट जाते है। पुरूष वर्ग मिट्टी के खिलौना, कागज के फुल, रोटी में बेचने के लिये बनाते है तो वही महिलाएं घर घुंदिया बनाने में लगी रहती है।
उल्लेखनीय है कि कोरदा में पोला पर्व के दिन दोपहर 3 बजे से चलने वाली पोला पर्व रात्रि 8 बजे तक चलती रहती है। इस एक दिवसीय पोला मेला में लगी खिलौने के दुकानो से सिर्फ महिलाये पकवान से खिलौने खरीदते है। पोला के दिन कोरदा गांव की महिलाएं तथा लडकियां अपने घर छोडकर तालाब पार में अपनी बनाई हुई 6 फीट लम्बा चौडा घर घुंदिया में पुडी, बडा, भजिया, ठेठरी, खुरमी पकवान लेकर बैठी रहती है जैसे ही बाजार सज जाता है फिर पकवान से महिलाएं खिलौना लेने के लिए निकलती है। और रोटी के हिसाब से पकवान को खरीदती हैं। इस जिले के मुखिया के आने से लोगों में और भी अधिक उत्सुकता देखने को मिला।
ज्ञात हो कि यहां पैसे से कुछ नहीं मिलता घर में बने पकवानों ठेठरी, खुर्मी, पुड़ी, इत्यादि रोटियों से खिलौनों की खरीदी की जाती है। पोला पर्व पर लवन क्षेत्र के 20-25 गांवो की महिलाएं गांव कोरदा में शामिल होकर पोला पर्व की आनंद लेती है। जो एकता और भाईचारे की प्रतीक है।
पोला पर्व को आकर्षक और मनोरंजक बनाने के लिए ग्रामवासियों के द्वारा घरघुंदिया, मिट्टी व कागज के खिलौने, आकर्षक बैल, बैला, मकान कोठा निर्माण में मुख्य अतिथि ने भुनेश्वरी तिलक वर्मा ने सभी प्रतिभागियों को नगद ईनाम देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा अन्य अलग-अलग प्रकार के ईनाम भी रखे गये थे। प्रतिभागियों द्वारा मिट्टी के आकर्षक खिलौने, कागज के डोंगा, फुग्गा, मिट्टी के चिडि़या, नंदी बैला, सहित कई प्रकार की मनमोहक वस्तुएं बनाकर दुकान लगाई गई थी।
कार्यक्रम में क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य भुनेश्वरी तिलक वर्मा मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल रही। इस मौके पर भुनेश्वरी तिलक वर्मा ने कहा कि कोरदा गांव में पोला पर्व मनाने की परंपरा पूर्वजों के समय से चली आ रही है, जिसे गांव के लोग आज भी बड़ी धूमधाम से मनाते चले आ रहे है। यंहा का पोला पर्व पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्व है। यंहा माताएं, बहने बड़ी संख्या में शामिल होकर पोला उत्सव का आनंद लेती है। रोटी से मिट्टी व कागज के खिलौने लेने की अनोखी परम्परा देखने को मिलती है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष लोगों में ज्यादा उत्सव देखने को मिला। वही, जनपद पंचायत के अधिकारी मनहरण लाल वर्मा ने अपने पिता धनषाय एवं माता स्व. साधोबाई की स्मृति में ग्राम कोरदा के 5वीं, 8वीं, 10, व 12वीं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रशस्ति पत्र व पुरूस्कार देकर सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने आजीवन पुरूस्कार देने का संकल्प भी लिया। कार्यक्रम में मंच संचालन मोहन वर्मा ने किया। इस कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य भुनेश्वरी तिलक वर्मा सहित ग्रामीण उपस्थित रहे।