बच्चें की बहादुरी की कहानी में सियाराम को नेशनल पुरस्कार विजेता में शामिल करें … उमाशंकर दिवाकर राष्ट्रीय प्रवक्ता जनसूचना अधिकार संघ
बच्चें की बहादुरी की कहानी में सियाराम को नेशनल पुरस्कार विजेता में शामिल करें … उमाशंकर दिवाकर राष्ट्रीय प्रवक्ता जनसूचना अधिकार संघ
-1- बच्चे की जान बचा कर की मिसाल पेश…..।
-2- 15 वर्षीय बालक ने उफनती नाले में कूदकर बच्ची की बचाई जान…..।
-3- लहरों से डरकर कश्ती पार नहीं होती, कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती यह कहावत को चरितार्थ किया सीताराम यादव ने…..।
-4- एक बच्चे की बचाई जान दूसरे का डुबने से हुई मौत…..।
-5- माता पिता के साथ
सीताराम का छोटा परिवार में दो भाई एक बहन ग्राम चूहका में निवास करते हैं…..।
-6- प्रशासनिक अमले पहुंचे ग्राम चूहका के सियाराम यादव से की मुलाकात…..।
उमाशंकर दिवाकर
गर्वित मातृभूमि ( बेमेतरा/ साजा/ चुहका) – जैसा नाम वैसा काम भगवान श्रीराम चंद्र जी ने लोगों का उद्धार कर दिया ठिक उसी तरह सियाराम यादव ने अपने गांव की छोटी बच्ची की जान बचाई जिनके हौसले और बहादुरी की मिशाल बन गया।
यह पूरा वाक्य छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के साजा जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत के छोटे से गांव चुहका का मामला है। सीताराम कक्ष 9 वी का पढ़ने वाला छोटा सा बालक जो छुट्टी के दिन नदी किनारे बकरी चरा रहा था। इसी दौरान गांव के ही दो बच्चे को डूबते देख उफनती नदी पर कूद पड़े और एक बच्ची का जान बचाई……।
*छोटे से गांव चूहका के सिताराम यादव क्या मिल पायेगा सम्मान?*
सवाल इस बात का है कि जब गाना गाने वाले सहदेव को राज्य सरकार तथा हिन्दी फिल्म के बड़े बड़े हस्तियों ने काफी सराहना दिया तो छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के साजा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत के छोटे से गांव चूहका के सिताराम यादव जिसने गांव के नाले में बहते दो बच्चों में से एक की जान बचाने वाले कक्ष नवमी के सीताराम यादव को राज्य सरकार तथा हिन्दी फिल्म के सितारे क्या सिताराम यादव को उनकी काबिलियत तथा उनके हौसले को सम्मानित कर पायेगा यह सवाल अब आम जनता सिताराम यादव को नई ऊंचाई दी पायेगी की नहीं यह सवाल आम जनता को सिताराम यादव की ओर से है?
*दुख इस बात का है की मैं दूसरे बच्ची को नहीं बचा पाया* सिताराम यादव
स्कुल की छुट्टी जब जब होती है तो घर पर खाली रहने के बजाय अपनी बकरीयो को चराने समय समय पर नाले के पास जाया करता था ठीक उसी प्रकार में बकरी चराने गया हुआ था उस दिन नाले में अति वर्षा होने के कारण नाले में काफी बाढ आ गया था उस दिन मैं बकरी चराते हुए नाले के पास बबुल वृक्ष में चढ़कर नाले में के बहाव को देख रहा था तभी गांव के ही दो बच्चों को नदी में बहते देखा तो तुंरत नाले पर बचाने खुद गया और एक को नाले के पार में लाकर दूसरे को तलाशने जा ही रहा था तभी गांव वाले भी पहुच चुके थे और सभी के कड़ी मेहनत में बबुल वृक्ष के सुखी टहनी पर किनारे पर एक को लाया तो पता चला की वह मृत हो चूका है। मुझे दुख इस बात का है की मैं दूसरे बच्ची को नहीं बचा पाया कहा।
सीताराम यादव (जान बचाने वाले बच्चे के साथ)
*अपनी जान की परवाह की अपने समकक्ष बच्ची की बचाई जान*
सिताराम की मेहनत ने जो किया वह हमारे गांव ही नहीं वरन पूरे प्रदेश का नाम को गौरवान्वित किया इसके लिए राज्य सरकार से आग्रह है की जब बस्तर का बचपन का प्यार गाने वाले को इतना प्रेम दुलार मिला तो हमारे गांव चूहका का सिताराम जिसने अपनी जान की परवाह की अपने समकक्ष बच्ची की जान बचाई है राज्य सरकार तय करें जीवन देने वाले किसी ईश्वर से कम नहीं कहा
ईश्वर पटेल(ग्रामीण)
*गांव की बच्चों की हौसले की उड़ान राज्य का नाम रौशन कर देगा*
कम उम्र में लोगो की मदद कर अपनी ही नहीं वरन अपने मां बाप गांव जिला व राज्य में पहचान बनाकर ये साबित कर दिया की कुछ सहयोग सरकार की ओर से मिले तो गांव की बच्चों की हौसले की उड़ान राज्य का नाम रौशन कर सकता है।
रामलाल पटेल (ग्रामीण)