गजब की है राजनीति, जो भाजपाई करते थे पहले विरोध, लगाते थे नारे, वही नगर पंचायत के पीआईसी मेंबर बन बैठे
गजब की है राजनीति, जो भाजपाई करते थे पहले विरोध, लगाते थे नारे, वही नगर पंचायत के पीआईसी मेंबर बन बैठे
गर्वित मातृभूमि/बालोद:- नगर पंचायत में हाल ही में हुए प्रेसिडेंट काउंसिल के गठन और उनमें जुड़े चार सदस्यों के नामों की चर्चा जोरों पर है। वह इसलिए क्योंकि नगर पंचायत में अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू तो कांग्रेस समर्थित है लेकिन प्रेसिडेंट इन काउंसिल में पांच में से चार सदस्य भाजपाई जुड़ गए हैंम हैरानी वाली बात यह है कि जो भाजपाई पार्षद पहले इसी अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के पक्षधर थे। उनके खिलाफ नारेबाजी होती थी। प्रदर्शन किया जाता था। आज वही भाजपाई पी आई सी का मेंबर बन बैठे हैं। जो कि गुरुर नगर पंचायत में चर्चा का विषय बन गया है। तो वहीं इससे राजनीति खलबली मची हुई है। इससे यह भी चर्चा हो रही है कि कहीं उक्त चारों पार्षद अध्यक्ष के समर्थन में तो नहीं आ गए हैं। बीते दिनों अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने वाला था। इसके पहले ही कोर्ट से स्टे ऑर्डर आ गया। टिकेश्वरी अध्यक्ष पद पर बनी हुई है। ऐसी चर्चा है कि अब उक्त चारों को अपनी ओर खींच लिया गया और उन्हें पी आई सी में सदस्यता दी गई है। खास बात यह है कि कांग्रेसी पार्षदों को भी दरकिनार कर चार भाजपाइयों को पीआईसी मेंबर बनाए गए हैं जिससे चर्चा का बाजार और गर्म है। अब देखने वाली बात होगी कि इस तरह भाजपाई पार्षदों के पीआईसी में शामिल होने के बाद भाजपाई अन्य पार्षद क्या कदम उठाते हैं।
दोहरा चरित्र आया सामने
जो भी भाजपाई पार्षद पीआईसी के मेंबर बने हुए हैं । उनका दोहरा चरित्र सामने आया हैं। अन्य भाजपाई पार्षदों और नेताओं में इस सदस्यता से आक्रोश है। भाजपाई पार्षदों का कहना है कि एक तरफ तो यही पार्षद अध्यक्ष का विरोध कर रहे थे । पार्टी में एकजुटता दिखा रहे थे । लेकिन अब क्या हुआ कि वे अध्यक्ष की ओर हो गए और बकायदा पीआईसी का मेंबर भी बन गए हैं। कहीं ना कहीं इससे भीतर घात वाली बात भी सामने आ रही है। इससे भाजपाई पार्षदों के बीच फूट पड़ने की आशंका भी बढ़ गई है।जिसका फायदा आने वाले दिनों में कांग्रेस को दोबारा मिल सकता है।
इन सदस्यों को किया गया है शामिल जो है भाजपाई समर्थित
छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 धारा 70 एवं छत्तीसगढ़ नगर पालिका (प्रेसिडेंट इन काउंसिल के कामकाज का संचालन व पदाधिकारियों की शक्तियों एवं कर्तव्य) का नियम 1998 में तहत पीआईसी के कामकाज का संचालन तथा पदाधिकारियों का शक्तियों एवं कर्तव्य के निर्वहन के लिए इन पार्षदों को सदस्य, अध्यक्ष नगर पंचायत गुरुर द्वारा बनाया गया है। यह प्रेसिडिंग इन काउंसिल के सदस्य संबंधित विभाग के प्रभारी कहलाएंगे। इनमें 5 सदस्य शामिल किए गए। जिसमें प्रमुख प्रमोद सोनवानी को खाद्य नागरिक आपूर्ति स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग दिया गया है। जो कि कांग्रेसी पार्षद है। इनके बाद के चार पार्षद भाजपा समर्थित है। जिन्हें पीआईसी में शामिल किया गया है। उनमें प्रमुख रूप से चंद्रलता होमेन्द्र साहू, पुनर्वास नियोजन,विधि, सामान्य प्रशासन विभाग, ललिता जमाडार राजस्व तथा बाजार विभाग, अनुसूईया ध्रुव शिक्षा महिला एवं बाल कल्याण विभाग, जितेश्वरी मोहन निषाद आवास, पर्यावरण, लोक निर्माण एवं जल कार्य विभाग के प्रभारी बनाए गए हैं।
क्या कहता है नियम
वैसे तो पीआईसी मेंबर बनाने के लिए पार्टी नहीं देखी जाती है। मूल रूप से पार्षद को ही शामिल किया जाता है। यह अध्यक्ष के ऊपर निर्भर करता है कि वह किसे किसे सदस्य बनाए। इसमें भाजपा कांग्रेस नहीं देखा जाता। इसमें अपने पसंद के पार्षदों को शामिल कर सकते हैं। हालांकि अगर स्वयं किसी एक पार्टी के हैं तो प्राथमिकता अपनी पार्टी को देनी रहती है। और दूसरे पार्टी के पार्षद को सदस्य बना रहे हैं तो उक्त सदस्य बने पार्षद पी आई सी की बैठक में लिए गए निर्णय पर आपत्ति नहीं कर सकेंगे। अगर आपत्ति करते हैं तो उनकी आपत्ति खारिज मानी जाती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो अगर कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपाई पार्षदों को सदस्य बनाया भी है तो वे उनके अधीन ही रहेंगे। अध्यक्ष के फैसले को टाल नहीं सकेंगे।