बदलने लगा है प्रदर्शन का तरीका, पुलिस वालों से झूमाझटकी बढ़ी, पुलिस प्रशासन में असंतोष
बदलने लगा है प्रदर्शन का तरीका, पुलिस वालों से झूमाझटकी बढ़ी, पुलिस प्रशासन में असंतोष
महिला कर्मियों ने भी कहा हमारा भी नहीं लगते लिहाज, होती है अभद्रता
गर्वित मातृभूमि/बालोद:- जिले में राजनीतिक पार्टी हो या फिर कोई भी संगठन प्रदर्शन के नाम पर पुलिस वालों से अभद्रता भी की जा रही है। जिसके चलते पुलिस प्रशासन से जुड़े हुए कर्मियों में असंतोष फैलने लगा है। अनुभवी पुलिस अधिकारियों सहित कर्मचारियों का कहना है कि पहले इस तरह से प्रदर्शन नहीं होता था। लगातार घेराव और रैली ज्ञापन के नाम पर पुलिस वालों से भी अभद्रता की जाती है। पुलिस प्रशासन को दिए जाने वाले अल्टीमेटम ज्ञापन में साफ लिखा रहता है कि हम ज्ञापन सौंपने आएंगे। लेकिन इस दौरान ज्ञापन के बहाने प्रदर्शनकारी उपद्रव पर उतर आते हैं। और बैरिकेड तोड़ फोड़ कर पुलिस वालों से भी अभद्रता करते हैं। जो कि आपत्तिजनक होती है।
सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से पुलिस प्रशासन को सामने रहना पड़ता है। नाम प्रकाशित ना करने की शर्त पर एक महिलाकर्मी ने बताया कि आए दिन हो रहे प्रदर्शन में महिला पुलिसकर्मी का भी लिहाज नहीं रखा जाता है। प्रदर्शनकारी सामने आकर नारेबाजी तो करते हैं लेकिन गाली गलौज पर उतारू हो जाते हैं। हम अपनी ड्यूटी निभाते हैं। ऐसे में इस तरह से हमें भी खतरा बना रहता है। लेकिन ड्यूटी के लिए उन्हें बर्दाश्त करना पड़ता है। कुछ अनुभवी थाना प्रभारी ने बताया कि पहले शालीनता पूर्ण प्रदर्शन होता था। दूर से ही लोग नारेबाजी करते थे ।पास आकर सिर्फ एक ज्ञापन देकर फोटो खींचा कर लौट जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतारू हो जाते हैं और गलत तरीके से प्रदर्शन करते है। जिससे माहौल भी खराब होता है। अगर पुलिस वाले दबाव डालने लगते हैं तो उन पर भी आरोप लग जाता है। क्या करें, क्या ना करें यह दुविधा में हम पड़ जाते हैं ।प्रदर्शन का बदलता ये तरीका समाज के लिए भी चिंता का विषय है।
अब बैरिकेड तोड़ रहे हैं प्रदर्शनकारी
लगातार हो रहे प्रदर्शन में यह घटना आम बात हो चली है कि पुलिस द्वारा किए गए सुरक्षा के इंतजाम को भी तोड़ कर प्रदर्शनकारी प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी घुस जाते हैं। बैरिकेड तोड़ना, स्टॉपर लांघना, पुलिस वालों से धक्का-मुक्की करना, दरवाजा तोड़ना गेट पर चढ़ना आदि आम बात हो चुकी है। पुलिस द्वारा कई बार उच्च अधिकारियों से आदेश ना होने के चलते कड़े तरीके से प्रदर्शनकारियों को पीछे नहीं हटा पाती है। समझाने का प्रयास करती है लेकिन प्रदर्शनकारी उग्र रहते हैं। उन्हें समझाना तक मुश्किल होता है। इससे एक गंभीर समस्या हो जाती है कि वे कैसे शांति बनाए रखें ।
कुछ शराब के नशे में भी रहते हैं
इससे पुलिस प्रशासन को परेशानी होती है खासतौर से महिला कर्मी अगर सामने हैं तो उन्हें भी असुविधा होती है कुछ महिला कर्मचारियों ने बताया कि प्रदर्शन करने वाले लड़के प्रदर्शन के बहाने गलत तरीके से धक्का-मुक्की करने का भी प्रयास करते हैं। महिलाओं को भी लिहाज नहीं किया जाता है ऐसे में बढ़ रही अशांति और पुलिसकर्मियों में भी नाराजगी है। तो वहीं खासतौर से महिला पुलिस कर्मियों को अपनी सुरक्षा का भी भय रहता है। वर्दी में होने के बाद भी उनका लिहाज नहीं किया जाता। जिले में इस तरह की घटना लगातार हो रही है। जिसे पुलिस प्रशासन व उनके परिवार में असंतोष का माहौल बनने लगा है। पुलिस के उच्च अधिकारी प्रदर्शन करने वाले चाहे किसी भी पार्टी, संगठन के प्रदर्शन करें ,उनकी मांगों को हम अफसरों व प्रशासन तक पहुंचाते हैं। अधिकारियों से भी मिलाते हैं। लेकिन शालीनता पूर्ण प्रदर्शन करना चाहिए। कानून को हाथ में नहीं लेना चाहिए।। इससे बलवा या उपद्रव होने का खतरा बना रहता है।