राजपुर,विश्व आदिवासी दिवस पर विधिक साक्षरता का हुआ आयोजन
राजपुर,विश्व आदिवासी दिवस पर विधिक साक्षरता का हुआ आयोजन
जिला ब्यूरो कृष्ण नाथ टोप्पो बलरामपुर
गर्वित मातृभूमि/बलरामपुर:- राजपुर। विश्व आदिवासी दिवस पर कस्तूरबा गांधी विद्यालय राजपुर में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन व्यवहार न्यायाधीश सुश्री आकांक्षा बेक की उपस्थिति में की गई जहां पर न्यायाधीश ने उपस्थित छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी दिवस का आयोजन आज विश्व भर के आदिवासियों के अधिकारों उनके उनके सांस्कृतिक सामाजिक रितियों मूल्यों की रक्षा को लेकर उत्साह के साथ आयोजित किया जा रहा है, हमारे देश के संविधान में समता-समानता के साथ इन विशेष वर्गों को प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है,संविधान के अनुच्छेद 29,30 में यह व्यवस्था दी गई है कि ऐसे वर्गों के हितों की रक्षा की जाएगी। सुश्री बेक ने कहा कि महात्मा गांधी जी ने आदिवासियों को गिरिजन भी कहा था क्योंकि अधिकतर आदिवासी वर्ग के लोग पहाड़ों जंगलों में निवास करते थे और प्रकृति प्रेमी थे प्रकृति पूजक थे बदलते समय के साथ सभी के जीवन शैली में बदलाव आया है, कानूनी व्यवस्था में भी बनाई गई हैं ताकि इनके साथ होने वाले दुर्व्यवहारों से कड़ाई से निपटा जा सके परंतु कानून में दी गई व्यवस्था का उपयोग सदैव सही घटना के लिए होना चाहिए किसी के बहकावे में अथवा गलत रिपोर्ट दर्ज कराने से उसके गंभीर परिणाम भी उठाने पड़ सकते हैं।
अधिवक्ता सुनील सिंह ने कहा कि आदिवासीयों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह दिवस उन उपलब्धियों और योगदानों को भी स्वीकार करती है जो मूलनिवासी, आदिवासी लोग पर्यावरण संरक्षण जैसे विश्व के मुद्दों को बेहतर बनाने के लिए करते हैं। पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में घोषित किया गया था।1982 में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की मूलनिवासी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक में शामिल सुझावों के आधार पर यह निर्णय लिया गया था तब से लेकर अब तक दुनिया भर के देशों आदिवासी वर्ग के लोगों को लेकर तमाम तरह के कानूनी व्यवस्थाएं बनाई गई है अपने देश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों या आदिवासी वर्ग के लोगों के साथ होने वाले उत्पीड़न या दुर्व्यवहार को लेकर बनाए गए कानून काफी कठोर हैं और उसमें दंड की व्यवस्था काफी कठोर है। पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति दिए जाने का भी प्रावधान है अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसी भी अपराध में जो आदिवासी वर्ग के व्यक्ति के विरुद्ध कोई भी अन्य वर्ग का व्यक्ति करता है उसके किए गए अपराध के विचारण के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना भी देश में की गई है विशेष थाने बनाए गए हैं। राज्य की सरकार हर स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से चाहे वह शैक्षिक गतिविधियों के लिए हो अथवा वह आदिवासी वर्ग के लोगों के आर्थिक उत्थान के लिए हर स्तर पर मदद करती है और इसके लिए विभिन्न विभागीय योजनाओं को भी संचालित किया गया है जिनका लाभ लेना बहुत आसान है नजदीक के जनपद कार्यालय अथवा सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग से मिलकर विभागीय योजनाओं का लाभ लिया जा सकता है।
इस अवसर पर छात्रावास अधीक्षक श्रीमती उर्मिला मिंज के अलावा अन्य स्टाफ मौजूद थे।