बादल में वन अधिकार कानून को लेकर कार्यशाला आरंभ
बादल में वन अधिकार कानून को लेकर कार्यशाला आरंभ
जगदलपुर ब्यूरो चीफ की ख़ास खबर
गर्वित मातृभूमि जगदलपुर:- जिला स्तर वन अधिकार कानून खंडस्तरीय कार्यशाला का आयोजन आसना स्थित बादल संस्था में कार्यशाला का आयोजन जिसमें गया । जिसमें प्रथम दिवस के अवसर पर जनपद पंचायत बस्तर के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायत के पंचायत सचिव, पटवारी, फॉरेस्ट गार्ड एवं वन अधिकार समिति के अध्यक्ष सचिव पंचायत प्रतिनिधि सरपंच , पंच, जनपद पंचायत सदस्य ,जिला पंचायत सदस्य का कार्यशाला रखा गया हैं ।अनुभव शोरी ने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्राप्त करने के लिए ग्राम सभाओ की भूमिका और सामुदायिक अधिकार एवं सामुदायिक वन संसाधन पर अधिकार के लिए दावा करने के प्रत्येक चरणों क़ो विस्तार पूर्वक समझाया , साथ ही गांव के वन और राजस्व नक्शो क़ो देखने के लिए बस्तर वेब जी आई एस का प्रयोगात्मक उदाहरण पेश किये, ताकि ग्राम सभाओ क़ो दावा किये जा रहे वन और क्षेत्रफल क़ो समझने मे आसानी हो सीमा विवाद की परिस्थिति उत्पन्न न हो, बस्तर प्रशासन और एट्री के सहयोग से निर्मित एप्प द्वारा गांव का सीमांकन के लिए आमचो सीएफआर एप्प का उपयोगिता क़ो भी समझाया, कार्यशाला के दौरान भविष्य मे जंगल के सुरक्षात्मक उपयोग और प्रबंधन के उदेश्यों क़ो समझने और आजीविका क़ो मजबूत करने के लिए परिचर्चा भी की गयी।मास्टर ट्रेनर तुलसी ठाकुर ने बताया कि दावा प्रक्रिया आरंभ करने के लिए वन अधिकार समिति की प्रारंभिक बैठक होती है , जिसमें वन अधिकार समिति द्वारा दावा की तैयारी है ।
वन अधिकार समिति द्वारा दावाओं को सत्यापित की तैयारी करनी होती है। उसके पश्चात स्थल परीक्षण दावाओं का भौतिक सत्यापन मानचित्र तैयार करना सत्यापन प्रतिवेदन नजरी नक्शा तैयार करना होतीं हैं । ग्राम सभा द्वारा दावाओं का निराकरण करना उसके पश्चात अनुविभागीय स्तर द्वारा दावा को जमा करते हैं ।वन अधिकार समिति के माध्यम से सामुदायिक वन संसाधन का अधिकार दावा कर सकते हैं ।जिसमें वन अधिकार समिति, अनुविभागीय स्तर समिति, जिला स्तरीय समिति ,प्रदेश स्तरीय समिति गठित होती हैं ।गांव के अंदर जितने भी प्राकृतिक संपदा है जितने भी पर्यावरण को सुरक्षित रखने वाले कारक है, साथ ही जितने भी जड़ी बूटियों को सुरक्षित रखने के लिए और इन को आगे बढ़ाने के लिए सामुदायिक सामुदायिक वन अधिकार के तहत सुनिश सुरक्षित किया जाएगा ।विगत वर्षों में बहुत से जड़ी-बूटी जंगलों से गायब हो रहे हैं।
जो कि हमारे पारंपरिक उपचार का एक महत्वपूर्ण साधन था। इन सभी चीजों को सुरक्षित रखने और फिर से पुनर्जीवित करने के लिए यह कानून का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है, इससे ग्रामसभा को सशक्त किया जा सकता है । अपने जल ,जंगल ,जमीन और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है, साथ ही भविष्य में रोजगार के अवसर का केंद्र भी बनाया जा सकता है।वन अधिकार समिति और ग्राम सभा द्वारा वन अधिकार कानून 2006 के तहत समुदायिक अधिकार के लिए ग्रामीण आगे आ रहे हैं।जिसके तहत वे अपने पारंपरिक सीमा को निर्धारित करते हुए सीमा का सीमांकन कर रहे हैं साथ ही ग्रामसभा को सशक्त करने के लिए लोगों के साथ अपने आज भी का पर्यावरण और संस्कृति को बचाने के लिए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम भी कर रहे हैं। समुदायिक वन अधिकार के तहत ग्रामीणों ने सीमांकन के साथ-साथ कानून की धारा 3 (1) “ख “एवं धारा 3 (1)” ग ” का फॉर्म भर रहे हैं।अनुविभागीय अधिकारी जगदलपुर ओम प्रकाश वर्मा, अनुविभागीय अधिकारी बस्तर नन्द कुमार चौबे, रामनाथ सोरी उपमंडला अधिकारी, डी. पी.पटेल सहायक संचालक आदिवासी विकास, एच आर .वेदव्यास मंडल संयोजक, मास्टर ट्रेनर अनुभव सोरी ,तुलसी ठाकुर, संतु मौर्य, पूरन सिंह कश्यप , सोमारू बघेल, बनसिंह मौर्य ,कमलेश कश्यप, लक्ष्मीनाथ कश्यप , रूपचंद नाग, लोखेश्वर मौर्य, सरपंच संघ अध्यक्ष राम्या मौर्य , बस्तर विधायक मीडिया प्रतिनिधि तुलसी ठाकुर , मंडल संयोजक दीपक मौर्य आदि उपस्थित थे ।