अधिकारियों के सह पर अनियमितताओं के साथ संचालित हो रही रेत खदानें, ग्रामीणों एवं मजदूरों में काफी आक्रोश
अधिकारियों के सह पर अनियमितताओं के साथ संचालित हो रही रेत खदानें, ग्रामीणों एवं मजदूरों में काफी आक्रोश
गरियाबंद ब्यूरो चीफ महेंद्र भारती
गर्वित मातृभूमि गरियाबंद / फिंगेश्वरः- गौण खनिज से राजस्व की राशि सरकार को नहीं मिलने से प्रतिमाह हो रहे 20 लाख रूपये के नुकसान की बात खनिज, राजस्व एवं जिला प्रशासन के निष्क्रियता को ही प्रमुख बताया जा रहा है। गौण खनिज की बात करें तो जिलें में मात्र फिंगेश्वर विकासखंड में ही कालापत्थर, मुरम, रेत का इतना ज्यादा खनन होता है कि 20 लाख का राजस्व तो मात्र फिंगेश्वर विकासखंड से ही शासन को मिलना चाहिए। इन गौण खनिजों की साल भर खनन होती है। फिंगेश्वर विकासखंड में लगभग 10 रेत खदानें एवं 50 से 60 काले पत्थर की खदानें चलती है। मुरम की बात की जावें तो कई जगह से प्रतिदिन मनमाने मुरूम खनन हो रहा है। इसके बाद भी सरकार का यह बयान कि गरियाबंद जिला में गौण खनिज के नाम पर राजस्व प्राप्ति 0 के बराबर है। यहां तक की डीएमएफ फंड की कमी के चलते जिलें में विकास की गति धीमी पड़ गई है। यह स्थिति काफी हास्यापद कही जा रही है। गौण खनिजों के भंडार फिंगेश्वर वि.खं. से राजस्व का न प्राप्त न होना मात्र भ्रष्टाचार को पनह देना ही माना जा सकता है। इसमें जिला प्रशासन की सख्ती, राजस्व विभाग की घोर लापरवाही एवं खनिज विभाग की अवैध खनन करने वालों को संरक्षण को ही जवाबदार माना जाना चाहिए। इन दिनों फिंगेश्वर विकासखंड में परसदाजोशी में पिछले एक-डेढ़ माह से धड़ल्ले से खदानों में बंफर उत्खनन हो रहा है। जहां नियम-कानून का कहां कोई ठिकाना नहीं है। सीमा से बाहर जाकर जहां उत्खनन चल रहा है। वही नदियों से बीच धार में चैन माऊटिंग लगाकर मनमाना खनन किया जा रहा है। खनन एवं परिवहन के लिए कहीं कोई भी मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। पानी के अंदर से रेत उत्खनन समीप के गांवो के लिए वर्षा के दिनों में अभिशाप बन जावेगा। ग्रामीणों ने कहा कि बड़ी बड़ी हाईवा गाड़ियो में मनमाने लोडिंग से सड़कें अलग टूटकर बिखर रही है। खदानों में लोडिंग चार्ज भी निर्धारित राशि से बहुत ज्यादा लिया जा रहा है। पीटपास को कोई हिसाब नहीं है। लोड गाडियों में पीटपास जरूर रहता है। परन्तु उसमें गाड़ी नंबर समय नहीं लिखा रहता। यानी एक पीटपास में न जानें कितनी गाड़ियां निकाली जाती है। और सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। ऐसे में शासन को कहां से गौण राजस्व मिलेगा। ग्रामीणों ने कहा कि पूछे जाने पर खदान में कोई जानकारी नहीं दी जाती। गत दिनों काफी शोर शराबा करने पर लचकेरा रेत खदान में नाप-जोख हुआ था तो सीमा के बाहर मनमाना उत्खनन डपिंग आदि अनियमितता मिली थी। परन्तु कार्यवाही का कहीं अता-पता नहीं है। अधिकारी सामने तो बहुत बड़ी बड़ी और नियम की बात करते है। परन्तु कार्यवाही करते समय जब सेटिंग हो जाती है। ऐसी कार्यवाही से शासन को निर्धारित राजस्व मिलना कैसा संभव है। जबकि फिंगेश्वर विकासखंड में उत्खनन को मापा जावें तो कम से कम 25 से 30 लाख रूपये माह का गौण खनिज में राजस्व मिलना चाहिए। जो ठेकेदार सरकारी नियम से काम करना चाहते है। तो भ्रष्टाचार के चलते कर नहीं पाते। फिर बताया जाता है कि शासन के कठिन नियम के कारण ठेकेदार पीछे हट जाते है। अगर यही बात है तो क्या विकासखंड में चल रही परसदाजोशी के रेत खदानें शासन के नियमों से चल रही है। यह प्रश्न चिन्ह लोगों के दिमाग में घुम रहा है। फिंगेश्वर विकासखंड कुरूसकेरा, परसदाजोशी, बिड़ोरा, लचकेरा, पथर्री, गणेशपुर, में रेत खदान स्वीकृत है। परन्तु ग्रामीणों में मिली जानकरी अनुसार परसदाजोशी में ही उत्खनन किया जा रहा है। बाकि खदानें कभी चालू कभी बंद रहती है। जिला प्रशासन को राजस्व वृद्धि के लिए नियमानुसार क्षेत्र की गौण खनिजों की खदानों को संचालित कराया जावें तो अनुमानित राजस्व की प्राप्ति काफी सहजता से की जा सकती है।