तार्किक बनना जीवन-जगत को समझने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। देखिए खास खबर…..
गर्वित मातृभूमि विजय कुमार देशलहरे तार्किक बनना जीवन-जगत को समझने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह हमें अपने विचारों को स्पष्ट करने एवं निर्णय लेने में मदद करता है और हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है। इससे अन्धविश्वास अपना पैर नहीं पसार सकता और हमारे शिक्षित होने का औचित्य भी सिद्ध होता है।
यदि आप तार्किक नहीं हैं तो कहीं ना कहीं आप अंधेरे की ओर गमन कर रहे हैं, जहॉं राह भटकने की पूरी आशंका रहती है। मैं यह नहीं कहता कि आप सन्देह को अपनी आदत में शुमार कर लें, लेकिन मेरा यह कहना है कि आप राह चलते समय जागते रहें तथा ऐसा करने के लिए औरों को भी प्रोत्साहित करें। महात्मा बुद्ध ने कहा है :
- किसी भी बात पर सिर्फ इसलिए विश्वास ना करें कि
आपने उसे सुना है - किसी भी बात पर सिर्फ इसलिए विश्वास ना करें कि
वह कई लोगों द्वारा कही या फैलाई गई है - किसी भी बात पर सिर्फ इसलिए विश्वास ना करें कि
वह आपकी धार्मिक पुस्तकों में लिखी है - किसी भी बात पर सिर्फ इसलिए विश्वास ना करें कि
वह आपके गुरुओं और बड़ों द्वारा कही गई है - किसी भी बात पर सिर्फ इसलिए विश्वास ना करें कि
वह परम्पराओं पर आधारित है - किसी भी बात पर सिर्फ इसलिए विश्वास ना करें कि
वह पीढ़ियों से चली आ रही है - दरअसल किसी भी बात पर आप तब विश्वास करें जब
अवलोकन और विश्लेषण के बाद लगे कि - वह तर्क से मेल खाती है
- वह सबकी भलाई और लाभ के अनुकूल है
- उसे स्वीकार कर उसके अनुसार जीवन जीया जा सकता है।
वास्तव में तर्कवाद एक महान दृष्टिकोण है, जो ज्ञान-विज्ञान पर बल देता है। वह हमें सही निर्णय लेकर समस्याओं के ठोस निदान में मददगार साबित होता है। इसके साथ ही हमें सम्पूर्ण विश्व में अद्वितीय स्थान प्रदान करता है। -
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति साहित्य वाचस्पति (हरफनमौला साहित्य लेखक)