प्रबंधन हुआ निष्क्रिय तो संयुक्त मोर्चा के प्रयास से भटगांव 1/2 खदान को मिला सी.टी.ओ – भटगांव
सूरजपुर/भटगांव:– एसईसीएल क्षेत्र की भटगांव भूमिगत खदान 1 नवंबर 2024 से सीटीओ के अभाव में बंद होने वाली थी जिसके कारण हजारों कर्मचारियों के चेहरे में चिंता की लकीरें दिखाई दे रहा था कि खदान बंद होने के बाद क्या होगा, कितने मजदूर इधर से उधर ट्रांसफर कर दिए जाएंगे, जिस मजदूरों के चिंता और मजदूर हितों के रक्षा के लिए पांचों ट्रेड यूनियन ने एक संयुक्त मोर्चा के रूप में भटगांव विधानसभा के स्थानीय विधायक और छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े से मुलाकात कर मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के माध्यम से वित्त मंत्री ओपी चौधरी और राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मुलाकात कर भटगांव एसईसीएल क्षेत्र के भटगांव भूमिगत खदान के सीटीओ के अभाव में बंद होने और खदान के बंद होने से राज्य, और खदान में कार्यरत कर्मचारियों को होने वाले कई समस्याओं और नुकसान होने को लेकर विधिवत चर्चा कर बंद होते कोयला खदान को 1 नवंबर के बाद भी सीटीओ प्रदान करने का पहल करने का आग्रह किया गया जिसपर राज्य सरकार के द्वारा तत्काल संज्ञान में लेकर भटगांव भूमिगत खदान को 1 नवंबर के बाद भी चलने के लिए सीटीओ प्रदान करवाया गया जिसको लेकर भटगांव एसईसीएल के बढ़ाव भूमिगत खदान सहित पूरे भटगांव एसईसीएल क्षेत्र के वर्करों के चेहरे खुशी से खिल उठे है।
खदान को चालू रखने के लिए प्रबंधन 3 वर्ष से सी.टी.ओ हेतु प्रयासरत थी परंतु सी.टी.ओ नहीं मिल रहा था। भटगांव भुमिगत खदान में 300 ठेकेदारी श्रमिक और 900 परमानेंट श्रमिक कार्यरत हैं।
खदान को चालू रखने के लिए ट्रेड यूनियन ने भटगांव क्षेत्र के संयुक्त मोर्चा के रूप में अक्टूबर महीने की शुरुआत में 8 अक्टूबर को भटगांव खदान पर धरना प्रदर्शन, क्षेत्रीय महाप्रबंधक कार्यालय पर धरना प्रदर्शन, सीएमडी के नाम ज्ञापन और बिलासपुर मुख्यालय पर 15 अक्टूबर को धरना प्रदर्शन करने के बाद बिना प्रबंधन के किसी अधिकारी के साथ संयुक्त मोर्चा के पांचो यूनियन के लोग रायपुर में जाकर 23 अक्टूबर को स्थानीय विधायक एवं मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े से मुलाकात किया एवं उनके सौजन्य से छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से 11:00 बजे रात में मुलाकात हुई।
मुख्यमंत्री ने पांचो यूनियन को आश्वासन दिया था कि आपकी खदान बंद नहीं होगी और अंततः 31 अक्टूबर को संयुक्त मोर्चा का प्रयास रंग लाया भटगांव भूमिगत कोयला खदान को चालू रखने का सीटीओ जारी हो गया, संयुक्त मोर्चा के रूप में बीएमएस, एचएमएस, इंटक, एटक और सीटू के प्रतिनिधिमंडल शामिल रहा।
आखिर सी.टी.ओ. बनाने की प्रमुख जिम्मेदारी एस.ई.सी.एल. प्रबंधन भटगाँव क्षेत्र के मुखिया महाप्रबंधक की होती है आखिर क्या वजह है कि समय रहते ही इन खदानों का सी.टी.ओ का नवीनीकरण प्रबंधन भटगांव करा पाने में असमर्थ रही यह स्थिति भटगाव क्षेत्र के शिवानी भूमिगत खदान, नवापारा भूमिगत खदान और दुग्गा ओ.सी.एम की भी है। जिनका सी.टी.ओ नहीं होने के कारण खदाने भी लगभग बंद पडी हुई है। आखिर महाप्रबंधक के पद का कार्य क्या कार्य कार्यालय के एसी के कमरों में बैठकर कमीशन खोटी करना है क्या?, महाप्रबंधक के जो कार्य अब भटगांव के ट्रेड यूनियन के नेता कर रहे है जिनके प्रयास व दौडधूप से आज एक खदान जो लगभग बंद होते होते बच गई उसका सी.टी. ओ लाने में सफल रही। आखिर महाप्रबंधक क्यों दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है बंद होती खदानों को चालू कराने में एक कारण तो सामने स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि कुछ ही माह बाद उनका रिटायरमेंट सामने है। शायद इसलिए उन्हें बंद हो रही क्षेत्र के कोयला खदानों एवं उनमें कार्यरत कई हजार कर्मचारियों के भविष्य पर खतरा नजर नही आता।
आज जो ट्रेड यूनियन का संयुक्त मोर्चा सी.टी.ओ. ला सकता है तो जिनका जवाबदारी प्रबंधन के मुखियाँ का है उनका कार्य क्या लाखो रुपये मोटा तनख्वाह सिर्फ एसी रूम में बैठकर लेने का कर रहे हैं।
भटगाँव 1/2 भूमिगत खदान को मिले सी.टी.ओ पर भी सवाल खडे हो रहे है क्योंकि विगत कुछ माह पूर्व वन विभाग छ.ग. शासन द्वारा दस्तावेजों की कमी व कई त्रुटियाँ बतलाकर सी.टी.ओ का आवेदन दो बार निरस्त कर दिया गया था तथा एसईसीएल प्रबंधन के पूर्व के कुछ अधिकारियों द्वारा किये गये वायलेशन का हवाला भी दिया था जिन्हे सशर्त पूरा करने पर ही सी.टी.ओ का नवीनीकरण की बात कही गई थी परंतु तीन दिवस के भीतर ही क्या सभी दस्तावेजों की त्रुटियाँ, किये गये वायलेशन व एसईसीएल प्रबंधन की खामिया राज्य सरकार के हस्ताक्षेप से ढंक दी गई जो महीनों और वर्षों के प्रक्रिया को दो से तीन दिवस में ही पूरा कर सी.टी.ओ दे दिया गया। इस पर भी सवाल खड़ा होना लाजिमी है।
आखिर सत्ता और प्रबंधन के साठ गांठ से सभी नियमों को ताक में रखकर सभी कार्य होना संभव है और वर्षों व महीनों के कार्य कुछ ही दिनों में जब भटगांव 1/2 भूमिगत खदान को सी.टी.ओ जारी कराया जा सकता है तो अब तक जो वर्षों से जिन खदानों में सी.टी.ओ न होने के कारण उत्पादन कार्य नवापार भूमिगत खदान, शिवानी भूमिगत खदान और दुग्गा ओ.सी.एम में प्रभावित हो रहा है इन्हें सी. टी.ओ क्यों नहीं दिलाया जा रहा है ?