December 22, 2024

जानलेवा हो सकता है जानवरो का काटना छोटे जानवरों से हमेशा रखे बच्चे को दूर हो सकता है नुकसान… डा.वीरेंद्र गंजीर

नरेश कुमार जोशी गर्वित मातृभूमि बालोद

बालोद 28 सितंबर 2024 ,विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर डॉक्टर वीरेंद्र गजीर जी ने बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी उन्होंने कहा कि अगर आपको किसी भी जानवर द्वारा दांतो से काटा गया गया है, दांत या नाखून से स्क्रेच या किसी भी प्रकार का घाव लग गया है तो तुरंत उपचार करवाएं। ऐसे में रेबीज़ वायरस के संक्रमण का खतरा रहता है जोकि जानलेवा हो सकता है।
दरअसल रेबीज़ के संक्रमण से भारत में प्रतिवर्ष लगभग 20000 लोगो की मौत हो जाती जोकि पूरे विश्व का 36% है। भारत में उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में मृत्यु दर 3% से भी अधिक है। रेबीज़ बीमारी कुत्तों के काटने से सबसे अधिक होता है लगभग 97% बाकि 3% बिल्ली , बंदरों या अन्य जानवरो के काटने से होता है।

पालक ध्यान दे

डॉ विजेंद्र गंजर ने बच्चे के पालकों से विशेष रूप से आग्रह किया है और कहा कि छोटे जानवर( जैसे कुत्ते के छोटे बच्चा,बिल्ली के बच्चे) से अपने बच्चो को दूर रखे और अगर बच्चा कुत्ते के बच्चे या बिल्ली के बच्चे को पकड़ता है उनके साथ खेलता है तो उनके ऊपर बहुत ही ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि छोटे बच्चे जब कुत्ते पकड़ता है खेलता है तो कुत्ते के दांत से नाखून से चोट लगने का चांस रहता है और हा एक बात सोचने वाली बात है की ओ चोट का पता भी नहीं चलता क्योंकि कुत्ते के बच्चे के नाखून दांत बहुत ही नुकीली रहती है इसलिए विशेष कर पालकों को हमेशा अपने बच्चों के ऊपर ध्यान देने की जरूरत है जब बच्चे कुत्ते के बच्चे के साथ खेलते है

क्यों है खतरनाक रेबीज़
जानवरो के काटने का बाद वायरस डैमेज हुए त्वचा के तांत्रिक कोशिकाओं के माध्यम से दिमाग तक पहुंचता है और अपना असर दिखाता है। एक बार अगर लक्षण आ गए तो मरीज का बचना असंभव है। इसलिए यह रोग बहुत घातक माना जाता है।

लक्षण क्या है लक्षण
संक्रमित जानवर के काटने के 30 दिनों से 90 दिनों या अधिकतम 6 वर्ष के अंदर भी मरीज में लक्षण दिखाई दे सकते है । ये लक्षण अगर मरीज को दिखे तो बचना मुश्किल है:

  1. हाइड्रोफोबिया (पानी से डर लगना)
    २. फोटो फोबिया ( प्रकाश से डर)
  2. एयरोफोबिया (हवा से डर)
    और अंत में मरीज की मृत्यु हो जाती है ।
    क्यों आवश्यक है टीका- एंटी रेबीज़ वैक्सीन
    संक्रमित जानवर से संपर्क में आने के बाद यदि लक्षण दिख गए तो इलाज संभव नहीं, इसलिए बचाव के रूप में एंटी रेबीज़ वैक्सीन लगाना बेहद आवश्यक है ।
    आजकल उपलब्ध टीका अत्यंत सुरक्षित है तथा शासकीय चिकित्सालय में निःशुल्क उपलब्ध रहता है । पहले लगने वाले 14 इंजेक्शनों के बजाय आजकल मांसपेशियों में लगने वाला 5 टीका जिसे 0, 3,7,14 और 28वें दिन लगाया जाता है अथवा त्वचा में लगने वाला 4 टीका जिसे 0, 3, 7 और 28वें दिन लगाया जाता है, पूर्णतः सुरक्षित और असरकारक है ।

जानवरो द्वारा काटने के बाद क्या करे
तुरंत कटे हुए जगह को साबुन या डिटर्जेंट या एंटीसेप्टिक से बहते हुए पानी से धोएं और चिकित्सक के पास टीकाकरण हेतु पहुंचे। डॉक्टर द्वारा घाव को देखकर निर्णय लिया जाएगा की घाव कौन सी कैटेगरी का है।

कैटेगरी I अंतर्गत जानवरो को छूना सहलाना प्यार करना भोजन देना बिना कटे त्वचा को चाटना आदि शामिल है , इसमें केवल संबंधित भाग को एंटीसेप्टिक से धोएं, टीका की आवश्यकता नहीं होती।
कैटेगरी II अंतर्गत त्वचा में दांत या नाखून द्वारा खरोच, कुतरना, कट जाना, नोचना आता है इसमें घाव को धोकर पूरे डोज टीके की आवश्यकता होती है ।
कैटेगरी III में जानवर द्वारा गहराई से काटना जिसमे घाव से अधिक रक्तस्राव हो रहा हो आता है। इसमें घाव को धोकर पूरे डोज टीके के साथ इम्यूनोग्लोबुलिन सीरम की जरूरत होती है । सीरम 24 घंटे के भीतर लगाना चाहिए या अनुपलब्धता में अधिकतम 7 दिनों के भीतर।
जानवरो को भी टीकाकृत करे
पालतू और आवारा पशुओं को भी एंटी रेबीज़ टीका लगाया जाना चाहिए जिससे संक्रमण से बचाव हो सके।
स्वास्थ्य एवं पशुपालन विभाग के समन्वय से यह कार्य किया जाना चाहिए।

जानवरो द्वारा काटने/रेबीज़ से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप 9111843834पर कॉल कर सकते है।

डॉ. वीरेन्द्र गंजीर
पूर्व महामारी विशेषज्ञ एवं पब्लिक हेल्थ सलाहकार
बालोद छत्तीसगढ़

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *