वेतन के इंतजार में मजदूर के बच्चे की गई जान एस ई सी एल खदान में कार्यरत ठेका मजदूरों ने किया हड़ताल, महीनों से वेतन के लिए तरसते ठेका मजदूर, बिना वेतन के अब असहाय मजदूरों के साथ क्यों किया जा रहा शोषण?
चिरमिरी। जिला एमसीबी के चिरमिरी शहर में एस ई सी एल प्रबंधन में ठेका मजदूरों का हाल बेहाल नज़र आ रहा है, जिनका जीवन यापन अब भगवान के नाम राम भरोसे ही देखा जा रहा है, जहां कोएला खदानों में ठेकेदारों के अधीन ठेका मजदूरों के तक़लिफों को सुनने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा, अपनी आपबीती बताते हुए भावुक हुए ठेका मजदूरों ने बताया कि उनसे जिस तरह निरंतर कार्य लिया जा रहा है उस हिसाब से ना तो उन्हें तनख्वाह मिल रहा है ना ही उनकी समस्याओं को ठेकेदार या उच्च अधिकारियों द्वारा कोई प्राथमिकता दी जा रही है, कर्ज़े में डूबते जा रहे गरीब मजदूर अपने परिवार का जीवन यापन करने में खुद को अब असफल महसूस करने लगे हैं, महीनों महीनों तक उन्हें वेतन नहीं मिल रहा और मिलता भी है तो भी नाम मात्र, जहां दो तीन माह निरंतर कार्य करने के बाद तनख्वाह सिर्फ एक माह का ही उन्हें नसीब हो रहा है, समय से ना वेतन भुगतान होता है ना ही पिछले साल का बोनस मजदूरों को मिला है, हालत अब इस कदर बद से बद्तर होने लगी है कि चार चार माह काम करने के बाद भी पेमेंट ना मिलने की तकलीफ़ को जब एस ई सी एल प्रबंधन के उच्च पदाधिकारियों के समक्ष इन ठेका मजदूरों द्वारा रखने का प्रयास किया गया तब किसी अधिकारी ने इनसे मुलाकात के लिए ही इंकार कर दिया तो किसी ने अपना फोन ही बंद कर दिया।
ठेका मजदूरों ने बताया कि एस ई सी एल प्रबंधन से जब इन बातों को ले कर सवाल किए गए तब प्रबंधन द्वारा इन्हें कुछ इस तरह का जवाब दिया गया कि जिस ठेकेदार के अधीन ये कार्यरत हैं उनके द्वारा उचित समय पर बिल जमा किया जाएगा तब ही इनका भुगतान सही समय पर हो पाएगा। अब इन मजदूरों की समस्याओं का सिलसिला ठेकेदार कंपनी और एस ई सी एल प्रबंधन के बीच पेचीदा होते नज़र आ रहा है, या तो यूं कहें कि इन ठेका मजदूरों का और इनकी तकलीफों को सुनने और समझने के लिए कोई माई बाप ही नहीं? ऐसे में ठेका मजदूर अपने परिवार की ज़रूरतों को पूरा करना तो दूर, परिवार में कोई बड़ी विपदा पड़ने पर खुद को असहाय महसूस करने लगे हैं, ठेका मजदूरों ने बताया कि अगर आगे भी यही हाल रहा तो ठेका मजदूरों के पास ज़हर खाने तक के पैसे नहीं बचेंगे। जिस वजह से बाध्य हो कर ठेका मजदूरों ने हड़ताल करने का फैसला किया।
ठेका मजदूरों ने पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान बताया कि उनके ही एक साथी मजदूर के घर में उस मजदूर की पत्नी का स्वास्थ्य खून की कमी की वजह से करीब शरीर में तीन ग्राम खून बच गया था और तबियत इस कदर बिगड़ गया था कि उस मजदूर को कर्ज़ा ले कर अपनी पत्नी की जान बचानी पड़ी, वहीं दूसरे मजदूर ने बताया कि हम अपनी पीड़ा किससे बताएं किसके सामने अपनी तकलीफों को रखें? कुछ दिन पूर्व पैसे की कमी के कारण बच्चे इलाज ना होने से बच्चे की मौत हो गई यहां सब के सब इसकी टोपी उसके सर करने में और हम ठेका मजदूरों का शोषण करने में मग्न मुग्ध हो चुके हैं, जिस वजह से हमें अब विकल्प के रूप में हड़ताल ही नज़र आ रहा है।
अब देखने वाली बात होगी, कि इन ठेकेदारों द्वारा इस तरह हड़ताल करने के बाद इनकी तकलीफों और समस्याओं का कोई समाधान ठेकेदार और प्रबंधन द्वारा किया जाएगा? या फिर इन गरीब असहाय मजदूरों का प्रबंधन और ठेकेदार के मिलीभगत से निरंतर शोषण ही किया जाएगा?