शालाओं के युक्तियुक्तकरण से शिक्षा गुणवत्ता होगी प्रभावित:- भूपेश सिंह
शालाओं के युक्तियुक्तकरण से शिक्षा गुणवत्ता होगी प्रभावित:- भूपेश सिंह
सुरजपुर/ छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष भूपेश सिंह ने बताया है कि प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने युक्तियुक्तकरण के लिए जारी नियमों पर पुनर्विचार करने की मांग शिक्षा सचिव से की है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह,महामंत्री रंजय सिंह ,प्रदेश संगठन सचिव मुकेश मुदलियार ,प्रांतीय प्रचार सचिव अजय सिंह ने कहा है कि
युक्तियुक्तकरण वाले पूर्व माध्यमिक शालाओं में जिनकी दर्ज संख्या 105 या उससे कम है वहां एक प्रधान पाठक एवं तीन शिक्षक पदस्थ करने का नियम बनाया गया है। इसके अतिरिक्त पदस्थ शिक्षक अतिशेष माने जायेंगे। जबकि 2008 के सेटअप जिसमें न्यूनतम छात्र संख्या पर एक प्रधान पाठक एवं चार शिक्षक पदस्थ करने का नियम बनाया गया था, और इसी के आधार पर भर्ती व पदोन्नति विभाग द्वारा की गई है, एक पद घटाने से एक शिक्षक तो स्वमेव अतिशेष हो जाएंगे यह नियम व्यवहारिक नही है।
2 अगस्त 2024 के युक्तियुक्तकरण नियम में न्यूनतम विद्यार्थी संख्या पर भी एक प्रधान पाठक एवं चार शिक्षक का सेटअप स्वीकृत किया जावे, साथ ही 2014 में किये गए युक्तियुक्तकरण नियम के तहत पद रिक्त पर विषय विकल्प का ऑप्शन लेकर समायोजन किया जावे।
2008 के सेटअप में प्राथमिक शाला में न्यूनतम छात्र संख्या पर एक प्रधान पाठक व दो सहायक शिक्षक का पद स्वीकृत किया गया था, वर्तमान में एक पद कम कर दिया गया है यह अव्यहारिक है, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उलंघन है।
सरकार एक बार फिर शिक्षकों का शोषण करने जा रही है।
स्कूलों के आपस मे युक्तियुक्तकरण से स्कूलों की संख्या कम होगी जिससे शिक्षकों के पदों को ही समाप्त किया जा रहा है।
प्राथमिक स्कूलों का मिडिल स्कूलों में युक्तियुक्तकरण से प्राथमिक विद्यालय के प्रधानपाठक का पोस्ट ही समाप्त करने की साजिश है। यदि मिडिल और हाई स्कूल को युक्तियुक्तकरण करने से मिडिल स्कूल के प्रधानपाठक के अधिकार में कटौती होगी उसका कोई स्वतंत्र अस्तित्व ही नही रह पायेगा। प्रधान पाठक का पद समाप्त करने वाला इस युक्तियुक्तकरण नियम से सहायक शिक्षक व शिक्षक की पदोन्नति 50% तक कम होगी, इससे शिक्षकों के पदोन्नति के अवसर कम होंगे जो पूर्णतः अनुचित है। प्रत्येक प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शाला का स्वतंत्र अस्तित्व हो जिसके नियंत्रण व शिक्षण व्यवस्था के लिए स्वतंत्र प्रधान पाठक जरूरी है, इससे सहायक शिक्षक व शिक्षकों को पदोन्नति भी मिलेगी। बालवाड़ी संचालित स्कूलों में बालवाड़ी 1 व प्राथमिक 5 कुल 6 कक्षा का संचालन 2 शिक्षकों से कैसे संभव है? 2 अगस्त 2024 को जारी युक्तियुक्तकरण नियम से शाला में पदों की संख्या कम किया गया है इससे नई भर्ती नही होने से प्रशिक्षित बेरोजगारों के साथ अन्याय होगा? स्वामी आत्मानंद शालाओ में प्रतिनियुक्ति के शिक्षकों व शालाओ पर नियम की प्रभावशीलता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है,युक्तियुक्त कारण से उच्चतर विद्यालय में काम का बोझ बढ़ जाएगा जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन सही तरीके से नही हो पायेगा। इस पूरी प्रकिया में समय / शासकीय सम्पत्तियो (रिक्त भवन जो खंडहर हो सकता है) एवं छात्रों के भविष्य पर कुठाराघात होगा।
भूपेश सिंह,चंद्रविजय सिंह,रामचंद्र सोनी,सुरविंद गुर्जर,अनुज रजवाड़े,गौरीशंकर पांडे, प्रदीप दास,विजेंद्र साहू, रहमान खान,विजेन्द्र सिंह, प्रेमदास गुप्ता,नरेश गुप्ता,रमेश गुर्जर,राकेश गुर्जर,विजय पाठक, फूलमती सारथी मयाती कच्छप,सुशीला कुजूर,मोहर साय,प्रदीप, पीतांबर सिंह,नागेंद्र सिंह,चंद्रदेव चक्रधारी,रामबरन सिंह, जितेंद्र सिंह,बिनोद केराम,लालसाय, शिवनारायण,दीपक झा, विश्वनाथ,शिवशंकर सोनी, कमलेश,रामकिशून, खेलसाय,ईश्वर सिंह, अनिल चक्रधारी,राजाराम साहू,आदि शिक्षकों ने कहा है कि
शिक्षा विभाग के सेटअप के विपरीत युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को अपनाया जाना न्यायपूर्ण नही है,एक ही परिसर में उच्चत्तर शाला में निचले शाला को मर्ज करना स्वतंत्र शाला के नियंत्रण व शिक्षण व्यवस्था पर विपरीत असर डालेगा, प्रधान पाठक उच्च शाला के अधीन मर्ज होंगे इस प्रकार से इन पदों को समाप्त करने की रणनीति गलत है, प्राथमिक शाला व माध्यमिक शाला में न्यूनतम शिक्षक संख्या घटाया गया है इससे इन शालाओ के शिक्षण स्तर में गिरावट आएगा, पूरी युक्तिकरण की नीति में विसंगतिया है जो गंभीर आपत्तिजनक है तथा जिसपर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।