युक्तियुक्तकरण के दिशा निर्देशों पर छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ ने जताई गहरी नाराजगी, स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की नई भर्ती में नियम विरुद्ध पदस्थापना कर वरिष्ठ शिक्षकों को किया गया अतिशेष
युक्तियुक्तकरण के दिशा निर्देशों पर छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ ने जताई गहरी नाराजगी
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की नई भर्ती में नियम विरुद्ध पदस्थापना कर वरिष्ठ शिक्षकों को किया गया अतिशेष
सूरजपुर – छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 2 अगस्त 2024 को जारी शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण दिशा निर्देश व पर्दे के पीछे से जारी 7 अगस्त 2024 के कैविएट आदेश ने प्रदेश भर के शिक्षकों में खलबली मचा दी है । इस दिशा-निर्देश पर छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ ने गहरी नाराजगी जताते हुए आक्रोश व्यक्त किया है। शालेय शिक्षक संघ सूरजपुर के जिलाध्यक्ष यादवेन्द्र दुबे ने बताया की युक्तियुक्तकरण आदेश के तहत वर्ष 2008 के न्यायपूर्ण सेटअप को ही बदल दिया गया है ,पूर्व सेटअप में प्राथमिक शाला में एक प्रधान पाठक तथा दो सहायक शिक्षक पदस्थ होने अनिवार्य थे,परंतु युक्तियुक्तकरण के दिशा-निर्देश अनुसार अब प्रधान पाठक को ही शिक्षक के रूप में गणना कर एक शिक्षक का पद और मिडिल स्कूल में एक प्रधान पाठक एवं न्यूनतम चार शिक्षक की संख्या को बदलकर प्रधान पाठक को भी शिक्षक के रूप में गणना कर वहां भी इस स्वीकृत पद को विलोपित किया जा रहा है । स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सहायक शिक्षक औरशिक्षक पद पर किये गये नई भर्ती में नियम विरुद्ध पदस्थापना कर वरिष्ठ शिक्षकों को अतिशेष किया गया है । हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में एक विषय के लिये स्वीकृत पद के विरूद्ध एक से अधिक कार्यरत व्याख्याता में से अतिशेष का युक्तियुक्तकरण किया जायेगा,लेकिन शासन का यह नियम भी समझ से परे है कि यदि किसी हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल में अतिथि शिक्षक पदस्थ है तो, उस विद्यालय के नियमित व्याख्याता को अतिशेष की श्रेणी में रखा जायेगा। वहीं हाईस्कूल में भी अतिरिक्त 10 छात्र पर एक अतिरिक शिक्षक की नियुक्ति को बदलकर उसे समायोजित कर दिया गया है । युक्तियुक्तकरण में दिए इस नए सेटअप से पूरे छत्तीसगढ़ में लगभग पचास हजार से अधिक शासकीय शिक्षकों के पद विलोपित हो जाएंगे । हजारों बेरोजगार युवा पद सृजित न होने पर रोजगार से वंचित हो जाएंगे । इससे शासकीय स्कूलों को बर्बाद कर निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने की मंशा स्पष्ट नजर आ रही है। यह नया सेटअप एवं युक्तियुक्तकरण आदेश,छत्तीसगढ़ के आमजन, युवा, छात्र एवं शिक्षकों के साथ अन्याय है ,क्या छत्तीसगढ़ के शासकीय विद्यालय में पढ़ने वाले गरीब छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने का अधिकार नहीं है..? क्या यहां के युवाओं को शासकीय सेवा में जाने का अधिकार नहीं है..? जो इन पदों को विलोपित कर दिया गया है । पूर्व में भी स्वामी आत्मानंद स्कूलों को पृथक डाइस कोड न देकर संबंधित शासकीय स्कूलों का डाइस कोड दे दिया गया है, जिसमें शासकीय पदों को विलोपित कर दिया गया है। अब दीर्घकालीन योजना के तहत् सरकारी स्कूलों को खत्म कर, निजी स्कूलों, संविदा नीति, एनजीओ आधारित स्कूलों के विकास का कार्य योजनागत तरीके से किया जा रहा है । शिक्षक संगठनों को बिना विश्वास में लिए सचिवालय एवं संचालनालय के अधिकारियों द्वारा मनमानी आदेश निकाले जा रहे हैं। इन अधिकारियों की गंभीर शिकायत छत्तीसगढ़ के संवेदनशील ,लोकप्रिय माननीय मुख्यमंत्री एवं जनप्रतिनिधियों से की जावेगी । संघ के जिला सचिव गौतम शर्मा ने बताया कि समस्त शिक्षक संगठनों के प्रदेश पदाधिकारी एक दूसरे के संपर्क में हैं तथा यथायोग्य निर्णय,जिसमें न्यायालय के शरण से लेकर आंदोलन की रणनीति पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जा रहा है । संगठन की यह भी मांग है कि सर्वप्रथम स्थानांतरण नीति बनाई जावे और स्थानांतरण किया जावे, फिर पदोन्नति, फिर समायोजन नीति का निर्माण, शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों की उपस्थिति में की जावे,जो सर्व स्वीकार्य प्रदेश,छात्र,शिक्षक व लोक हितकारी हो । संगठन ने समायोजन समिति में कलेक्टर, एसडीएम एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारी तथा गैर विभागीय अधिकारियों को रखे जाने या सदस्य बनाए जाने पर भी आपत्ति दर्ज कराई है तथा संघ यह मांग भी करता है कि भविष्य में शिक्षक से संबंधित किसी भी योजना के क्रियान्वयन में इन गैर विभागीय अधिकारियों को न रखा जावे। संगठन की ओर से सूरजपुर जिलाध्यक्ष यादवेन्द्र दुबे और जिला सचिव गौतम शर्मा के साथ समस्त संगठन पदाधिकारियों और शिक्षकों ने माननीय मुख्यमंत्री से संपूर्ण मांगों को तत्काल निराकृत करने का अनुरोध किया है।