प्राकृतिक आपदा का ग्रामीण हुए शिकार…
प्राकृतिक आपदा का ग्रामीण हुए शिकर छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले में शामिल ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा का नजारा देखने को मिला जहां तेज आंधी तूफान के साथ बारिश ने जमकर अपना कहर बरपाते हुए ग्रामीणों के रोजमर्रा की जिंदगी में काफी उथल-पुथल मचा दी।
कोरिया/सत्येन्द्र सोनी/ जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से लगभग 18 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत सोरगा, टेंगनी, व खोड़ ग्राम पंचायत क्षेत्र में मौसम की बदलता मिजाज के साथ प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाते हुए तेज आंधी व बरसात के साथ जमकर कहर बरपाया जिसमें यहां रहने वाले ग्राम वासियों के घरो के छत, दिवाल व घरेलू सामान जिनमें अनाज भी शामिल थे उन्हें तो नुकसान पहुंचाया ही साथ ही उनके फसल, घर में बंधे पशुओं से लेकर आस पास के पर्यावरण संरक्षण कहे जाने वाले पेड़ पौधों को भी नहीं छोड़ा। इस भयंकर चक्रवाती रुप वाली आपदा से पेड़ पौधे जो की अपने जड़ों के साथ धराशाई हो गए जिनकी वजह से ग्रामीण क्षेत्र में आवागमन तक बाधित हो गया साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के तार टुटने के साथ साथ उसके खंबे भी क्षती ग्रस्त हो गये जिसकी वजह से इन क्षेत्रों में विधुत वैयवस्था पूरी तरह से ठप हो गई। जिसका प्रभाव अस्पतालो मे भी देखने को मिला। इस मामले की जानकारी जब हमारे मिडिया टीम को मिली तों हमारे टीम ने मौके का जायजा लिया और पाया कि क्षेत्र में इस तरह की घटित प्राकृतिक आपदा के बाद कोई जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इनसे मिल कर इनका हाल चाल तक लेने नहीं पहुंचे थे। ग्राम के वासी खुद ही एक दूसरे की सहायता मे जुटे हुए थे यहां तक की आवागमन में अवरोध उत्पन्न करने वाले पेड़ पौधों को भी खुद ही सुचारू करने में लगे रहे। ग्रामीणो के साथ हमारे टीम ने भी मामले में जनप्रतिनिधियों से कई बार संपर्क साधा लेकिन जन प्रतिनिधियों ने इस मामले से अवगत होना भी मुनासिब न समझते हुए रिप्लाई तक करना मुनासिब नहीं समझा। बहरहाल अब देखना यह होगा कि इस प्राकृतिक आपदा का शिकार हुए ग्रामीणों को यहां के जनप्रतिनिधि से कोई सहयोग मिलेगा भी या फिर नहीं। क्योंकि अगर ग्रामीण अपने आप में सक्षम होते तो इन मिट्टी नुमा घरों में न रहकर बिल्डिंगो में आराम से एक शहरी नुमा जिंदगी व्यतीत करते।