बी.ई.ओ. कार्यालय बना भ्रष्टाचार का गढ़।
विकासखंड जैजैपुर का है मामला।
सक्ति/जैजैपुर:-समाज को सही राह दिखाने वाली संस्था और उस संस्था को सूचारु रूप से संचालित करने के लिए बने कार्यालय में बैठे जिम्मेदार शिक्षक और उनके अधिकारी जब अपने कर्तव्य से भटक जाएं तो समाज की दुर्गति होने में ज्यादा समय नहीं लगता । ऐसा ही मामला नवीन जिला सक्ती के जैजैपुर विकासखंड का है जहाँ विकासखंड शिक्षा अधिकारी और कुछ ऐसे शिक्षक जो खाते तो बच्चों के नाम का हैँ लेकिन शिक्षक होते हुए भी अपने कर्तव्य के प्रति बिल्कुल भी ईमानदार नहीं हैं और ऐसे ही लोगों के कारण गुरुजी नाम के शब्द को कलंकित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जा रहा है ।
शिक्षक माहीनों छुट्टी में लेकिन अवकाश पंजी में छुट्टी दर्ज नहीं।
दरअसल कुछ ऐसे मामले जैजैपुर विकासखंड शिक्षा अधिकारी के कार्यक्षेत्र में देखने को मिले है जिनको देख- सुन कर कोई भी हैरान परेशान हो सकते है कि कोई शिक्षक जो समाज को बड़े बड़े ज्ञान की बातें करता है कैसे इस तरह के घोटाले कर सकता है ।
मामला एक- निलंबित शिक्षक को बिना कोई बहाली आदेश के पूरी वेतन जारी किया गया जिसमें सम्बन्धित शिक्षक , विकासखंड शिक्षा अधिकारी, लिपिक और जाँच अधिकारियों ने संभावतः आपस में बंदरबाँट किया है ,
मामला 2- एक और शिक्षिका का निलम्बन अवधि के बाद एक संचयी वेतन् वृद्धि रोकर जाने के बावजूद पूरा वेतन जारी किया जाना ।
मामला 3- संतानपालन अवकाश के नाम पर ठीक पढ़ाई कराने वाले महीनों ,जुलाई, अगस्त और सितम्बर माह में लगातार छुट्टी में रही शिक्षिका से लेन देन कर उनकी छुट्टी अवकाश पंजी में दर्ज नहीं किया गया जाना ताकि आरोपी शिक्षक से पैसे लेकर आपस में बंदरबाँट किया जा सके ।
मामला 4- घोटाला सबके सामने ना आजाये इसलिए सूचना के अधिकार सम्बन्धित जानकारी छुपाना ,व आरोपियों को संरक्षण देने जैसे कारनामे शामिल हैँ । लेकिन जिला के बड़े अधिकारियों तक बार बार शिकायत किये जाने के बाद भी आरोपियों पर मेहरबानी किया जाना यह साबित करने के लिए काफी है कि अब शिक्षा विभाग में भी नैतिकता नाम की कोई शब्द नहीं है ।
उपरोक्त सभी मामलों की शिकायत शिकारीनार निवासी अनिल चंद्रा द्वारा बीईओ, डी ई ओ, से लेकर कलेक्टर तक भी कजब अनेकों बार की जा चुकी लेकिन कार्यवाही अबतक शून्य है बल्कि जाँच अधिकारी ही अब आरोपियों को बचाने में लगे हुए हैँ। अब देखना ये भी होगा की खबर मीडिया में आने के बाद जिले के जिम्मेदार अधिकारी अपने जिम्मेदारी को किस प्रकार निर्वहन कर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने में सक्षम होकर निष्पक्ष जांच करते है या नहीं।