झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले बुलंद बेखौफ कर रहे हैं इलाज
झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले बुलंद बेखौफ कर रहे हैं इलाज
सुरजपुर / जिला मुख्यालय ब्लाक मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज करने का दावा करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है झोलाछाप डॉक्टर, ग्लूकोज़ की बोतलें लगाकर इलाज शुरू करते हैं और एक बोतल चढ़ाने के लिए 200 से 500 सौ रुपये तक फ़ीस लेते हैं. झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से ग्रामीण इलाकों में कई लोगों की जान खतरे में आ चुकी है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, ज़िले में 5 साल में झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिक 15 गुना बढ़ गई हैं
सैकड़ो झोला छाप डॉक्टर सक्रिय
जिले में शहर के साथ ही ग्रामीण इलाकों में सैकड़ों से अधिक झोला छाप डॉक्टर फिर से सक्रिय है गर्मी बढ़ते ही इलाकों में मौसमी बीमारियों के बढ़ते ही ऐसे झोलाछापों की दुकानें खुल गई है। इंजेक्शन लगाने से लेकर बड़े-बड़़े बीमारियों का इलाज इन लोगों द्वारा बेरोकटोक किया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक जिले के हर ब्लाक के लगभग हर गांव में एक से दो झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय है। जिन गांवों में कोई झोलाछाप नही है, वहां घर पहुंच सेवा दे रहे है। जिसके कारण लोगों से इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है।
हर गांव में हर तरह का करते है इलाज
मिली जानकारी मुताबिक हर गांव में ऐसे चिकित्सक सक्रिय होकर हर बीमारी का मिनटों में इलाज का दावा कर गंभीर से गंभीर बीमारियों की दवाई देने से लेकर इंजेक्शन, ग्लूकोज सहित आपरेशन जैसे इलाज भी कर रहे है। जिले के गांव सहित बड़े शहरों के निजी चिकित्सालयों तक मरीजों को पहुंचाने भर्ती कराने सहित इलाज भी बड़ी बीमारी के नाम पर कराया जाता है।
वर्षो से नहीं हुई कार्रवाई
साल भर पहले इन नीम हकीमों को लेकर प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच के लिए अभियान छेड़ा गया था। जिसके बाद कुछ नीम हकीमों पर कार्रवाई के दौरान अधिकांश झोला छाप डॉक्टर भूमिगत और गायब हो गए थे। इनकी डिस्पेंशरी भी पूरी तरह बंद हो गई थी। कुछ महीनों में कार्रवाई आगे नही बढऩे और लगातार कार्रवाई नही होने के बाद अब फिर से इन झोला छाप डाक्टरों द्वारा मरीजों का बेखौफ इलाज करना शुरू हो गया है। और यह सब हो रहा है स्वस्थ विभाग के निष्क्रीयता के कारण जबकी शासन द्वारा लोगों निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है इसके बाद भी भोले भाले ग्रामीण तथा कथित झोला छाप डॉक्टरों के चंगुल में फंसकर अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं और इसका कारण है स्वस्थ विभाग की उदासीनता जिससे दिन प्रतिदिन कुकुरमुत्ता की तरह झोला छाप डॉक्टरों तादात बढ़ती जा रही है इन्हें कौन संरक्षण दे रहा है और इनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं होता समझ से परे है
इस विषय पर सूरजपुर सीएमएचओं डॉ आर एस सिंह ने कहा कि बहुत जल्द नर्सिंग होम एक्ट के तहत टीम का गठन कर फर्जी झोला छाप डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी