फिर गरमाया फर्जी शिक्षाकर्मी का मामला ,,, पदौन्नति पर रोक लगाने की मांग , जिला शिक्षा अधिकारी को सौपा गया ज्ञापन
फिर गरमाया फर्जी शिक्षाकर्मी का मामला ,,, पदौन्नति पर रोक लगाने की मांग , जिला शिक्षा अधिकारी को सौपा गया ज्ञापन
गर्वित मातृभूमि महेंद्र भारती गरियाबंद :- बहुचर्चित फर्जी शिक्षक कर्मी मामला अब फिर से गरमाने लगा है ,,, इस बार आपत्ति इनके पदोन्नति को लेकर है ,,, पूर्व में बर्खास्त शिक्षाकर्मियों की टोली ने जिला मुख्यालय पहुच कर जिला शिक्षा अधिकारी को 63 लोगो का हस्ताक्षर सहित ज्ञापन सौंपकर पदोन्नति में रोकने की मांग किया है
जाने क्या है पूरा मामला
गरियाबंद जिले में वर्ष 2005 और 2007 में कुल 129 शिक्षा कर्मी द्वारा फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर नौकरी पाने मामला सामने आया था इस मामले में जांच शुरू हुआ और जांच में मामला सही पाया गया दिनाक 20.10.2020 को जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया , उक्त मामले में दोषियों पर कानूनी कार्यवाही भी हुई परन्तु 129 लोग अब तक इन्हें हटाने की कार्यवाही को पूरा नही किया गया है हालाकि समय समय पर कार्यवाही के नाम पर खूब उठा पटक किया गया ,,, कुछ नेता , अधिकारी , कुछ अन्य ने भी मामले को अपने हिसाब से भुनाने में लगे थे जिसे 129 अभ्यार्थी पक्ष द्वारा टीम बना कर मानमनोवल करते हुए शांत करने में सफल रहे और मामला दबा हुआ था जांच अधिकारी के द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन पर उचित कार्यवाही नहीं हुआ
सारे नियम ताक पर रख कर दिया गया लाभ
इस मामले में शुरू से सारे नियमों ताक पर रख कर रास्त साफ करने का पूरा कोशिश किया गया जनपद पंचायत मैनपुर के तत्कालीन शिक्षा समिति और समान्य सभा मे इस 129 शिक्षाकर्मियों का परीक्षा अवधि समाप्त करने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया ,,, जिससे ये नियमित कर्मचारी बन गए नियमित कर्मचारी बनने के उपरांत संविलियन का राह आसान हो गया ,,, और 1 जुलाई 2018 को संविलियन हुए इस कारण पदोन्नति का लाभ देना चाहते है
क्या कहता है पदोन्नति का नियम ,,?
पदोन्नति मामले में नियम को अगर देखें तो कंडिका 10 में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि किसी भी व्यक्ति के ऊपर न्यायालयीन प्रक्रिया दर्ज है और गोपनीय चरित्र में इसका उल्लेख किया गया है तो उसे इस पदोन्नति के लाभ से वंचित किया जाए साथ ही ये भी निर्देश है किसी भी कालम को संबंधित विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा रिक्त नही छोड़ना है सभी कलाम को भरना अनिवार्य है
ये है गोपनीय चरित्रवली लेख की प्रक्रिया
जिस संस्था में शिक्षक कार्यरत है उसके प्रधान पाठक द्वारा गोपनीय चरित्रवली के साथ टिप लिखा जाता है
इसके पश्चात विकास खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा भी जिसमे टिप लिखना अनिवार्य है ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि ,, संबंधित मामले में 129 शिक्षाकर्मियों पर टिप लिखा गया होगा या नही ,,,?
शिकायत करताओ का तर्क ,,,
पूर्व में बर्खास्त 63 शिक्षाकर्मियों ने ज्ञापन सौंपने के पश्चात पत्रकार देवेंद्र राजपूत से बात करते हुए कहा की वर्ष 2005 , 2007 के फर्जी शिक्षाकर्मी मामले में गंभीर अनियमितता पाए जाने के पश्चात कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया गया परंतु अब तक उचित कार्यवाही नहीं हुई है 129 लोग शासन की आंखों में धूल झोंक कर लाभ ले रहे हैं जिसके चलते असल शिक्षित बेरोजगार के साथ अन्याय हो रहा है
मामले में उचित कार्यवाही नहीं हुई तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा
मामले में बी ई ओ मैनपुर आर आर सिंह का बयान
1 जुलाई 2018 के बाद से शिक्षाकर्मी पंचायत विभाग से शिक्षा विभाग के नियमित कर्मचारी बन गए हैं और हमारे कार्यालय में इनके खिलाफ शिकायत या जांच के कोई दस्तावेज नहीं है दस्तावेज नहीं होने के कारण इनकी गोपनीय चरित्रवली में कोई परेशानी नही पदोन्नति की पात्रता रखते हैं
क्या कहते है डी ई ओ श्री खटकर
पदोन्नति में रोक के लिए ज्ञापन प्राप्त हुआ है आगे कार्यवाही के लिए जे.डी कार्यालय को प्रेषित किया जाएगा मेरे अधिकार क्षेत्र के बाहर का मामला है कार्यालय से जो आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा ।