खेल खेल में शिक्षा के साथ बौद्धिक क्षमता व शारीरिक विकास को करता विकसित….
शिक्षक कठपुतली को घुमाते नचाते बच्चों को संवाद के माध्यम दे रहे शिक्षा
उमाशंकर दिवाकर गर्वित मातृभूमि बेमेतरा – सरकारी स्कूल में कठपुतली के जरिए बच्चों को शिक्षा दी जा रही शिक्षक कठपुतली को घुमाते नचाते बच्चों से संवाद करते हैं। शि के क्षेत्र में कठपुतली का प्रयोग प्राइमरी स्कूलों में चल रहा है। कठपुतलियों का पुराने समय से ही ज्ञान के प्रसार, मनोरंजन और सीखने सीखाने में खासा महत्व रहा है। रुड़की ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बेडपुर के शक्षिक संजय शर्मा वत्स ने बताया की सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र उदयपुर से शक्षिा में पुतलीकला की भूमिका विषयक कार्यशाला से करीब तीन वर्ष पूर्व उन्होंने यह प्रयोग सीखा था। छोटे बच्चों के शिक्षण प्रणाली के लिए यह माध्यम बेहद असरकारी साबित हुआ है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक स्तर पर बच्चों की अपनी एक काल्पनिक दुनिया होती है, वे गुड्डे गुड़ियों से आकर्षित होते हैं कठपुतलियों के जरिए वह आसानी से चीजों को समझ जाते हैं। शिक्षक वत्स का कहना है कि अपने अनुभवों आधार पर उन्होंने पाया है कि कठपुतलियां भावनात्मक रू प्रभाव डालती हैं, शांत बच्चे भी बोलना शुरू कर देते हैं। सीसीआरटी दे रहा है प्रशक्षिणभारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय अंर्तगत सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशक्षिण केन्द्र (सीसीआरटी) देशभर के प्रभाव डालती हैं, शांत बच्चे भी बोलना शुरू कर देते हैं। सीसीआरटी दे रहा है प्रशक्षिणभारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय अंर्तगत सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशक्षिण केन्द्र (सीसीआरटी) देशभर के शिक्षकों को पुतलीकला शिक्षण प्रशक्षिण देकर तैयार कर रहा है। शिक्षकों को चार प्रकार की कठपुतलियां बनाने एवं उनके उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए सीसीआरटी ने 18 प्रकार की सामग्री का विशेष किट भी तैयार की है। प्रशिक्षित शिक्षक राजर्क प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को विभिन्न विषयों की पढ़ाई करवाते समय कठपुतली का उपयोग कराते हैं, ताकि बच्चे पाठ को ज्यादा रुचि से पढ़ सकें। विश्व कठपुतली दिवस का इतिहासविश्व कठपुतली दिवस की शुरूआत 21 मार्च 2003 को फ्रांस में की गई थी। इस दिवस को मनाने का विचार ईरान के कठपुतली प्रस्तोता जावेद जोलपाघरी के मन में आया था। तब से यह दिवस भारत सहित विश्व के अन्य देशों में भी मनाया जाता है।