स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए पर्यावरण अधिगम के तहत् अवकाश के दिन शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन
स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए पर्यावरण अधिगम के तहत् अवकाश के दिन शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन
मो0 सुल्तान सूरजपुर
सूरजपुर – शासकीय प्राथमिक शाला चट्टीडांड़ स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए पर्यावरण अधिगम के तहत् रविवार अवकाश के दिन शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन प्रधान पाठक गौतम शर्मा, शिक्षिका कुमारी विनिता सिंह और शिक्षक संतोष कुमार चन्देल के नेतृत्व में किया गया। इस भम्रण दल मेें कक्षा तीसरी से पांचवी तक के सभी छात्र-छात्राएं शामिल हुए । शाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष बंटेश्वर सारथी ने इस भ्रमण दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। शैक्षणिक भ्रमण के दौरान दार्शनिक एवं ऐतिहासिक पर्यटन स्थल सतमहला,देवगढ़ और रामगढ़ के सभी ऐतिहासिक महत्व के धरोहरों का अवलोकन कराया गया । भ्रमण दल सर्वप्रथम सूरजपुर जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखण्ड के कलचा ग्राम में स्थित सतमहला नामक पुरातात्विक स्थल पहुँचा,यहां सात स्थानों पर भग्नावशेष है। यहाँ कई तरह की मान्यताएँ हैं, कोई कहता है कि प्राचीन काल में यहाँ पर सात शिव मंदिर थे,तो कोई कहता कि इस स्थान पर किसी राजा का सप्त प्रागंण महल स्थित था। यहां लगभग 8-9 वीं सदी की गंगा जमुना की मूर्तियां एवं जलधारी पर शिवलिंग स्थापित है। यहाँ बच्चों ने सतमहला देवी और शिव मंदिर के अलावा षटभुजाकार कुंआ,सूर्य प्रतिमा तथा पत्थरों पर उकेरे गये अनेकों कलाकृतियों को देखा। इसके बाद भ्रमण दल सतमहला से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध देवगढ़ धाम पहुँचकर अर्द्धनारीश्वर गौरीशंकर मंदिर में पूजा अर्चना कर ऋषि जमदग्नि के आश्रम का अवलोकन किया। यहाँ स्वल्पाहार लेकर भ्रमण दल सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखण्ड में स्थित ऐतिहासिक पर्यटन स्थल रामगढ़ पहुँचा। यह स्थल राम वन गमन पथ में भी सम्मिलित हैं। रामगढ़ के प्रवेश द्वार में स्थित महाकवि कालिदास जी की प्रतिमा देख बच्चे खुशी से उछल उठे। जैसे – जैसे बच्चे आगे बढ़ते गये उनकी भी उत्सुकता बढ़ती गई। यहाँ भ्रमण दल ने विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला सीताबेंगरा गुफा, जोगीमारा गुफा, महाकवि कालिदास जी की रचना स्थली,हाथी पोल, पार्वती गुफा एवं राममंदिर आदि स्थल का अवलोकन किया। रामगढ़ की पहाड़ी में कई गुफाएँ स्थित है, जिसमें से सीताबेंगरा काफी प्रसिद्ध हैं, इस गुफा को ही विश्व के प्राचीनतम नाट्यशाला के रूप में ख्याति प्राप्त हैं। यहाँ स्थित मंच पर भ्रमण दल के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देकर वहाँ आये पर्यटकों का मन मोह लिया,इसके बाद बच्चों ने स्वादिष्ट भोजन का लुफ्त उठाया और वापस आये। भ्रमण दल के सभी बच्चे भ्रमण के दौरान पूरे समय रोमांचित रहे । बच्चों ने बताया कि इसके पहले इस तरह से कहीं घुमने का मौका नहीं मिला था और न ही हम अपने माता-पिता के साथ कभी इस तरह के भ्रमण पर गए। यह शैक्षणिक भ्रमण उनके जीवन का सबसे सुखद अनुभव रहेगा। इस दौरान बच्चों और शिक्षकों के साथ शाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष बंटेश्वर सारथी और सदस्य श्रीमती सीमावती भी भ्रमण दल में शामिल रहे।