December 23, 2024

नौकरी, मुआवजा के मांग को लेकर हड़ताल जारी, हड़ताल से कोयला उत्पादन ठप

नोकरी, मुआवजा के मांग को लेकर हड़ताल जारी, हड़ताल से कोयला उत्पादन ठप

मो0 सुल्तान सूरजपुर
सूरजपुर/:– एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र की आमगांव ओपनकास्ट परियोजना में नौकरी व मुआवजा की मांग को लेकर खान प्रभावित पटना के ग्रामीणों का शुक्रवार से शुरू आंदोलन लगातार जारी है शुक्रवार को साढ़े तीन घंटे आंदोलनकारी ग्रामीणों से चली वार्ता विफल होने के कारण ग्रामीणों ने दूसरे दिन भी अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी रखते हुए खदान से कोयला व ओबी उत्पादन ठप रखते हुए कोयला परिवहन भी नही होने दिया जो स्थिति सोमवार तक जारी है। ग्रामीणों की हड़ताल से 4 दिनों में में लगभग 5 करोड़ रुपये से अधिक लागत का कोयला उत्पादन नही हो सका। आंदोलित ग्रामीण एसईसीएल प्रबन्धन पर मनमानी का आरोप लगाते हुए जमीन के बदले नौकरी के तहत नियुक्ति पत्र नही देने तक काम चालू नही होने देने की जिद पर अड़े है, जबकि प्रबन्धन उन्हें नौकरी व मुआवजा की स्थिति से अवगत करा रहा है।

एसईसीएल की आमगांव ओपनकास्ट परियोजना में कोयला उत्खनन के लिए पटना गांव के किसानों की अधिग्रहित भूमि के बदले नौकरी व मुआवजा की मांग को लेकर आक्रोशित ग्रामीण पटना सरपंच विमला सिंह मरावी के नेतृत्व में शुक्रवार को दोपहर साढ़े बारह बजे आमगांव खदान में हल्ला बोलते हुए खदान में काम बंद कर खदान के सामने अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।

आंदोलित ग्रामीणों का कहना है कि आमगांव खदान के लिए अधिग्रहित पटना गांव के ग्रामीणों की अधिग्रहित भूमि के बदले 464 भूस्वामियों को आदर्श पुनर्वास नीति के तहत नौकरी दी जाए। एसईसीएल प्रबन्धन द्वारा आज पर्यंत मात्र 37 ग्रामीणों को नौकरी प्रदान की गई है। नौकरी के लिए पात्र 427 प्रभावित ग्रामीण नौकरी के लिए समस्त प्रक्रिया पूर्ण करने के साथ ही संबंधित दस्तावेज जमा करने के बाद भी लंबे समय से नौकरी के लिए एसईसीएल के क्षेत्रीय कार्यालय से लेकर जिला प्रशासन कार्यालय में चक्कर लगा रहे है, लेकिन वे आज पर्यंत नौकरी से वंचित हैं।उनका कहना है कि उक्त मांग को लेकर 29 सितंबर से पांच अक्टूबर तक जब उन्होंने खदान बन्द कर हड़ताल की थी उस वक्त प्रबन्धन ने दिसंबर तक 107 ग्रामीणों को नौकरी व शेष मुआवजा राशि प्रदान करने का आश्वासन दिया था उसके बावजूद प्रबन्धन ने आज पर्यंत न तो 107 लोगो को नौकरी दी और न ही लंबित मुआवजा राशि का भुगतान किया।

आंदोलित ग्रामीणों ने चौथे दिन शनिवार को भी अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी रखते हुए खदान में कोयला व ओबी उत्पादन पूरी तरह ठप्प रखा। कोयला प्रेषण भी नही होने दिया। आंदोलन की वजह से दो दिन में तीन करोड़ रुपये से अधिक लागत का करीब 55 सौ टन कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ वहीं रोडसेल का कोयला उठाव करने पहुंचे ट्रकों के खदान के बाहर खड़े रहने से वाहन मालिकों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। आंदोलन की वजह से कोयला व ओबी उत्पादन ठप रहने की वजह से ठेकेदारों को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है।

धरना प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारी ग्रामीणों के साथ शुक्रवार देर शाम तक प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में एसईसीएल अधिकारियों की तीन घंटे से अधिक देर तक चली वार्ता बेनतीजा रही। एसईसीएल अधिकारियों ने आंदोलित ग्रामीणों को नौकरी के संबन्ध में बिंदुवार जानकारी देते हुए बताया कि वे पात्र लोगो को नौकरी देने संकल्पित है और खदान बन्द होने से राष्ट्रीय क्षति हो रही है उसके बावजूद ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि जब तक नियुक्ति पत्र नही मिलेगा। वे खदान चालू नही होने देंगे।

एसईसीएल के क्षेत्रीय महाप्रबंधक अजय तिवारी ने कहा कि हम अधिग्रहित भूमि के बदले नौकरी व मुआवजा देने दृढ़ संकल्पित है। खदान बंद करना राष्ट्रीय क्षति है। ग्राम पटना के 358 ग्रामीणों की करीब 928 एकड़ निजी भूमि अधिग्रहित की गई है। इसमे 464 रोजगार प्राप्त होंगे। इसमे 399 रोजगार प्रकरण लंबित है। उन्होंने नौकरी के लंबित प्रकरणों की स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि रोजगार के 60 प्रकरण कंपनी मुख्यालय में प्रक्रियाधीन है। 27 प्रकरण नामांकन व वंश वृक्ष सत्यापन उपरांत समाचार पत्र में प्रकाशन हेतु प्रेषित है। 33 प्रकरण नामांकन व वंश वृक्ष सत्यापन हेतु तहसील कार्यालय में भेजे जा चुके हैं। रोजगार के 75 प्रकरणों के अभिलेख में विसंगति है। 88 प्रकरणों में संबंधित भूस्वामियों ने दस्तावेज ही प्रस्तुत नही किए हैं। 38 प्रकरण पारिवारिक विवाद के कारण लंबित हैं। 78 प्रकरणों मे रोजगार हेतु प्रस्तावित व्यक्ति का नाम व दस्तावेज नही है।

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