*धान खरीदी को लेकर असमंजस में किसान*
*धान खरीदी को लेकर असमंजस में किसान*
मो0 सुल्तान सूरजपुर
सूरजपुर/:– छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बन चुकी है. अब किसानों को सरकार से काफी उम्मीदें हैं. किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदा जाए जबकि किसान संशय में है क्योंकि जिले में अब भी 15 कुंटल प्रति एकड़ के दर पर किसानों से धान खरीदा जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार सत्ता में आ गई है. अब किसानों को सरकार से काफी उम्मीदें हैं. भाजपा के घोषणा पत्र में किये गये वादे के मुताबिक किसान 21 क्विंटल प्रति एकड़ और 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में किसानों से धान खरीदने को लेकर कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया. जब सूरजपुर जिले के किसानों से चर्चा की गई तो किसानों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की जानी थी. यह किसानों के लिए जरूरी था, लेकिन सरकार ने अभी तक ऐसा नहीं किया है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो किसान ठगे जायेंगे.
बीजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र में किया था ये वादा घोषणा पत्र में किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदे जाने की बात कही गई थी. दूसरे किसान ने संशय जताते हुए कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि, किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदा जाएगा और 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान बेचा जाएगा।
सूरजपुर जिले के कल्याणपुर समिति के अंतर्गत आने वाले किसानों से चर्चा करने पर किसानों के द्वारा बताया गया कि धान खरीदी में असमंजस महसूस हो रही है और हमें नुकसान हो रहा है क्योंकि सूरजपुर जिले में अभी प्रति एकड़ 15 क्विंटल की हिसाब से धान खरीदा जा रहा हैं वहीं सरगुजा जिले के अजिरमा समिति में प्रति एकड़ 20 क्विंटल के हिसाब से धान खरीदा जा रहा है ऐसी स्थिति क्यों निर्मित हो रही है एक ही प्रदेश में दो अलग-अलग जिले और अलग-अलग तरीके से धान खरीदा जा रहा है ऐसे में किसान क्या करें जहां सरकार भी अपना स्पष्ट पक्ष नहीं रख पा रही है जहां किसान अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें। प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने और 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान का समर्थन मूल्य मिलने में संशय की स्थिति है. आज किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।