सूरजपुर ग्राम नमदगिरी में करोड़ों की लागत से बन रहे छात्रावास का काम भी अधर में. किए गए काम भी गुणवत्ताहीन. यहां भी नही लगा सूचना पटल
सूरजपुर ग्राम नमदगिरी में करोड़ों की लागत से बन रहे छात्रावास का काम भी अधर में. किए गए काम भी गुणवत्ताहीन. लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली सवालों में
सूरजपुर/जिले का लोक निर्माण विभाग लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।जिला मुख्यालय से लगे ग्राम नमदगिरी में करोड़ों की लागत से बनाये जा रहे छात्रावास भवन के निर्माण में जमकर धांधली किये जाने का मामला सामने आया है।बताया जा रहा है कि छात्रावास भवन निर्माण का काम कई वर्षो से चल रहा है।
छत्तीसगढ़ में बच्चों की आवासी शिक्षा और उनके बेहतर भविष्य के लिए शासन कई महत्वपूर्ण योजनांए चला रही है। लेकिन इन योजनाओं पर भ्रष्ट अफसर किस तरह से गिद्ध नजर डाले हुए हैं इसका उदाहरण सूरजपुर जिले में देखी जा सकती है।
नहीं है कोई सूचना पटल
लोक निर्माण विभाग के अन्य निर्माण साइट की तरह यहां भी सूचना पटल नहीं लगाया गया है
जिससे आम नागरिकों को किसी भी तरह की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। जबकि किसी भी निर्माण स्थल पर सूचना पटल का लगाना जरूरी माना जाता है विभाग के अधिकारी भी यह बात मानते हैं की सूचना पटल लगना चाहिए फिर भी अधिकारी सूचना पटल नहीं लगवा पा रहे हैं इसके पीछे क्या कारण है क्या छुपाने का प्रयास किया जा रहा है पता नहीं।
गुणवत्ताहीन निर्माण
लोक निर्माण विभाग द्वारा पिछले कई वर्षों से पंचायत में छात्रावास भवन का निर्माण कराया जा रहा है। करोड़ों रुपये की लागत से बन रहा ये छात्रावास निर्माण पूरा होने से पहले ही बदतर स्थिति में पहुंच गया है। अधिकारियों की लापरवाही से अभी से ही भवन में हुए गुणवत्ता हीन कार्य की पोल खुल रही हैं। निर्माण में सारे मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं छात्रावास निर्माण पूरा होने से पहले ही घटिया निर्माण की कहानी खुद बयां करने लगा है, सीमेंट का ऐसा प्रयोग की पूछिए मत दरारों को हल्के हाथ के दबाव पर सीमेंट भरभरा के गिर रहे हैं।ऐसे घटिया निर्माण से निर्मित छात्रावास बन जाने पर वहां रहने वाले बच्चे कैसे जान जोखिम में डालकर शिक्षा ग्रहण करेंगे यह अंदाजा लगा सकते हैं।
छात्रावास में हुए निर्माण कार्यों का भौतिक सत्यापन कराया जाए तो बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है और और पता चल सकता है कि शासन को किस तरह से करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है।
देखना यह है कि इन सारे खुलासे के बाद विभाग के जिम्मेदारों के ऊपर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
बयान
लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता महादेव लहरे से फोन के माध्यम से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.