December 23, 2024

छत्तीसगढ प्रगतिशील सतनामी समाज एवं अधिकारी कर्मचारी संघ के संयुक्त तत्वावधान में मनाया गया संविधान दिवस

*गर्वित मातृभूमि (बिनोद कुमार) बेमेतरा:-*  जिला मुख्यालय कवर्धा रोड स्थित गुरू बालकदास स्मृति स्थल सतनाम धाम में रविवार 26 नवंबर को छत्तीसगढ प्रगतिशील सतनामी समाज जिला ईकाई व अधिकारी कर्मचारी संघ के संयुक्त तत्वावधान में 74वें संविधान दिवस मनाया गया।
   सर्वप्रथम कवर्धा रोड स्थित सतनाम धाम में संविधान दिवस मनाने एकत्रित होकर संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हे नमन करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात उनके द्वारा किस तरह संविधान निर्माण कर भारत को एक मजबूत लोकतंत्र बनाने व देश को सामाजिक, आर्थिक, राजनीति रुप से सशक्त बनने में योगदान को कार्यक्रम में वक्ताओं ने अलग अलग गतिविधियों के साथ लोगो को बताया और संविधान दिवस के अवसर पर बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर को याद करते हुए भारतीय संविधान के उद्देशिका का वाचन कर देश के प्रति सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक रूप से अपने कर्त्तव्य को पूर्ण निष्ठा और दृढ़ता के साथ निभाने वचनबद्ध हुए। 26 नवंबर 1949 को ही देश की संविधान सभा में वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया गया था। इसी की याद में हर साल संविधान दिवस मनाते हुए एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र का जश्न मनाते हैं। जहां एक तरफ हमारा संविधान हमें आजादी के साथ जीने का हक देता है, तो दूसरी तरफ हमारे कुछ मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाता है बता दे कि हमारे देश का संविधान कई सिद्धांतों को समेटे है जिनके आधार पर देश की सरकार और नागरिकों के लिए मौलिक राजनीतिक सिद्धांत प्रक्रियाएं अधिकार दिशा-निर्देश कानून वगैरह तय किए गए हैं।

*संविधान के भरोसे जो आज बड़े सरकारी पदों पर बैठे हैं वे ही लोग गब्दार हो गए*

26 नवंबर 1949 में भारतीय संविधान सभा की ओर से संविधान को अंगीकार किया गया था। संविधान दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत साल 2015 से की गई। यह परंपरा बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए संविधान दिवस को मनाने का फैसला लिया गया था। इस दिन की नींव अक्टूबर 2015 में मुंबई में इंदु मिल्स परिसर में अंबेडकर स्मारक के उद्घाटन के दौरान रखी गई थी। और फिर, 19 नवंबर, 2015 को भारत सरकार ने एक गजट अधिसूचना की मदद से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया। विदेश मंत्रालय ने सभी प्रवासी भारतीय स्कूलों को 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्देश दिया और दूतावासों को संविधान का उस देश की स्थानीय भाषा में अनुवाद करने और इसे विभिन्न अकादमियों, पुस्तकालयों आदि में वितरित करने का निर्देश दिया।

*जय भीम जय संविधान के नारे गुंज के बीच मनाया संविधान दिवस*

आज 26 नवंबर 2023  संविधान दिवस के ऐतिहासिक क्षण पर गुरु बालक दास स्मृति स्थल सतनाम धाम (वार्ड नंबर 1) पिकरी में प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज एवं अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) जिला बेमेतरा के संयुक्त तत्वाधान में गरिमापूर्ण रूप से  बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के  छायाचीत्र व भारतीय संविधान का  दीप प्रज्ज्वलित कर सामूहिक रूप से शपथ पूर्वक संविधान की उद्देशिका का वाचन  किया गया। सभी लोगों ने  संविधान की रक्षा और  अपने जीवन को संवैधानिक  रूप से जीने को आत्मर्पित, दृढ़संकल्पिट हुए।
मंचस्त सभी अथितियों ने संविधान के निर्माण उसके उद्देशिका धाराएं व अनुच्छेद, अनुसूची,भाग  लोगों के अधिकार सारे चीजों के बारे में संक्षिप्त  रूप से अपने-अपने विचार रखें। और लोगों को उसके बारे में जागरूक किया।

पढ़े लिखे लोगो की समाज व संविधान के प्रति सच्ची जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए…नोहर दास जांगड़े
संविधान विशेषज्ञ नोहर दास जांगड़े जी ने विस्तृत रूप से बाबा जी के संघर्षों उसके द्वारा रचित संविधान के निर्माण में आ रही रूकावटे  गोलमेज सम्मेलन, साइमन कमीशन, बाबाजी की अपने बच्चे की कुर्बानी, जल सत्याग्रह, पढ़े लिखे लोगो की समाज व संविधान के प्रति सच्ची जिम्मेदारी को  बताया। प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज जिला अध्यक्ष राजा लाल बंजारे ने संविधान दिवस पर बाबा जी की द्वारा रचित संविधान का आज हमारे समाज में कितना महत्वपूर्ण रोल है यदि संविधान नहीं होता तो हमारी स्थिति कैसी होती इन सब के ऊपर विस्तार से प्रकाश डाला और उन्होंने हम सभी को संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा के साथ ईमानदारी पूर्वक अपने समाज को संगठित करते हुए बाबा जी के वाक्य शिक्षित बनो संगठित रहो और संघर्ष करो, को  अपने जीवन में चरितार्थ करने को कहा । अजाक्स जिला अध्यक्ष विजय  डोरे ने भी हम सभी को आज के परिवेश में अपने हक अधिकार के लिए एक मैदान पर आकर आवाज बुलंद करने की बात कही और शासन सत्ता से भी जन-जन तक संविधान को पहुंचाने व स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर इसके  प्रचार प्रसार की बात कही। मंचस्त सभी लोगों ने विधिक सलाहकार कोमल मानदेव गोटिया भुवन  जांगडे, लखनलाल  टोंडरे वरिष्ठ  समाज सेवक केकरा मानदेव, प्रेम डोरे , सरपंच संजय जोशी, चिंता राम गर्ग, पुष्पा अनंत, ननकी पात्रे,  पूजा डेहरे, जसवंत पात्रे, राम प्रसाद बघेल ,राजेश मारकंडे,  आज के कार्यक्रम संचालक देवीचंद्र डेहरे, जगदीश मिर्जा सभी लोगों ने संक्षिप्त रूप से आज के संविधान दिवस के विषय में अपने अपने विचार रखें और  हम सबको संगठित रहते हुए सतर्क  रहने की  बात कही। कार्यक्रम में भारी संख्या में माताएं बहने और कर्मचारी अधिकारी सामाजिक बंधुवर बच्चे सभी उपस्थित रहे जिसमें प्रमुखता से सत्यनारायण सेवईया ,राजकुमार सोनवानी, राजेंद्र घृतलहरे,अमित टंडन ,किशोर मानदेव, छत्रपाल मानदेव,लालदस मानदेव , तातु महादेव, राजेश बांधे ,हरि नारायण रात्रे, संतोष चतुर्वेदी, चिंताराम बघेल,संतीष रात्रे, दामिनी डेहरे, हेमलता नवरंगे ,प्रमिला भूवन जांगड़े , चोवा मधुकर रामेश्वर अनंत, रामेश्वर  टंडन, दौलतराम टंडन, जगदीश कोसरिया,राजा, सोनी,और असख्य की तादात में समाजिक स्वजन बंधु लोग उपस्थित रहे।

*सरकार क्यों संविधान दिवस को धूमधाम से नहीं बनाते वजह काफी चौंकाने वाली*

सरकार स्वयं इस बातों को अमल क्यों नहीं करते क्यों भारतीय संविधान दिवस नहीं मानते कारण कि वे संविधान से क्या नफरत करते हैं या फिर संविधान के बदौलत आम लोगों को जो जरूरतमंद जो लोग हैं उनको संविधान के बारे में नहीं बताना चाहते इन तमाम गतिविधियों को लेकर के हम बात करें तो कहीं ना कहीं द्वेष की भावना स्पष्ट नजर आती है जिस भारतीय संविधान के लेख करने वाले महान शख्सियत विश्वरत्न बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान में जाति धर्म संप्रदाय से लोगों को हटाकर एक क्षमता मूलक समाज बनाने का जो निर्माण संविधान के रूप में किया आज उन्हीं का ही मूल विचार को मानने के लिए लोग इनकार कर रहे हैं इनका नतीजे जो भी सत्ता और सरकार में आते हैं वही लोग ही नहीं चाहते कि लोगों को मौलिक अधिकारों की जानकारी हो यह बात स्पष्ट होती है इसी कारण से संविधान दिवस को धूमधाम से नहीं मानते नहीं तो गांव के कस्बे से लेकर के देश के सर्वोच्च पद पर बैठे लोग स्वयं सड़कों पर जाकर भारतीय संविधान की गाथा सुनाते और लोगों को जागरुक करते।

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