केज कल्चर में भारी अनियमितता…चहेतों को लाभ पहुंचाने बांट दिए 3 करोड़ 78 लाख रुपए का अनुदान…एक साल बाद भी रिकवरी और कार्यवाही अधर में लटकी…
डाकेश्वर साहू (धमतरी):- छत्तीसगढ के धमतरी जिला में केंद्र सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना में अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के मकसद से योजना में हेर फेर कर भारी गड़बड़ी करने का मामला सामने आया है।
आपको बता दें, कि धमतरी जिला के गंगरेल जलाशय में केज कल्चर के नाम से 3 करोड 78 लाख राशि के अनियमितता का आरोप है।
केन्द्र सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना वर्ष 2021-22 में तत्कालीन सहायक संचालक मछलीपालन के कार्यकाल में कुल 162 एवं 70 केज यूनिट लगाने के नाम से आबंटन प्राप्त हुआ था जिसको कमीशन खोरी के चलते व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध हेतू केवल चार हितग्राहीयों को 72 केज राशि र86.40 लाख एवं 09 हितग्राहियों को 162 केज अनुदान राशि 291.60 लाख बीना केज लगे ही कमीशन लेकर बांट दिया गया।
वर्तमान स्थिति को बात करें तो गंगरेल जलाशय में योजना अनुरूप केज नहीं लगे हैं बल्कि सभी केज कागजों में पूर्ण होकर अपनी जेबें भर ली गई है।
वहीं आरटीआई कार्यकर्ता के शिकायत पर केन्द्रीय जांच समिति गठित हेतू निवेदन पर समिति गठित की गई जिसमें जांच कर सही पाया गया साथ ही भ्रष्ट्राचार हुए राशि की रिकवरी और संबन्धित आधिकारी पर कार्यवाही करने हेतू प्रमुख सचिव को निर्देशित किया गया था जिसमें सहायक संचालक मछलीपालन द्वारा वित्तिय अनियमितता पाते हुये अनुदान राशि वसूल किये जाने हेतु पत्र भी जारी किया गया था। बावजूद इसके उच्च अधिकारी की उदासीनता के चलते आज पर्यन्त तक कार्यवाही और रिकवरी अधर में लटकी हुई है जिसको पुनः कार्यवाही हेतू वर्तमान स्थिति के लिए मुख्य सचिव को जवाब मांगा गया है लेकिन सांठगाठ के चलते कोई कार्यवाही नहीं हुई, बल्कि संबंधित आधिकारी को सहायक संचालक से उप संचालक के पद पर पदोन्नत कर दिया गया है।
भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय पत्र में कहा गया था, कि जिले के आरटीआई कार्यकर्ता से प्राप्त एक अभ्यावेदन को जिसमें धमतरी जिले के सहायक निदेशक मत्स्य पालन के खिलाफ अनियमितताओं के गंभीर आरोप में आगे की जांच और आवश्यक कार्रवाई के लिए केंद्रीय जांच दल गठित करने का अनुरोध किया गया है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 2021-22 के लिए धमतरी जिले के गंगरेल जलाशय में 162 केज की स्थापना के लिए 291.60 लाख रुपये और 72 केज की स्थापना के लिए 86.40 लाख रुपये की सब्सिडी के वितरण में आरोप की पुष्टि होती दिख रही है। राशि की वसूली के संबंध में स्पष्टीकरण हेतु मत्स्य संचालनालय द्वारा सहायक संचालक मत्स्य पालन धमतरी को पत्र जारी किया गया है।
इस संबंध में, छत्तीसगढ़ सरकार से अनुरोध है कि वह मामले के तथ्य का आगे विश्लेषण करने के लिए सब्सिडी राशि की वसूली की स्थिति सहित उपरोक्त मामले में इस विभाग को अब तक की गई कार्रवाई से अवगत कराए।लेकिन आलम यह है, कि रिकवरी और कार्यवाही अधर में लटकी हुई है और सूत्र मुताबिक़ लेन देन कर उक्त तात्कालीन सहायक संचालक मछली पालन को उप संचालक के पद पर पदोन्नत कर दिया गया।
बहरहाल यह देखना होगा कि मामले में अब क्या कार्यवाही होती है…???