December 23, 2024

वोट के भिखारी चुनाव जीतने के बाद नहीं लेते सुध?आजादी के 75 वर्ष बाद भी मौत के साये में शिक्षा- वेदप्रकाश महंत

**एकतरफ देशभर में आजादी के 75वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ आज भी छत्तीसगढ राज्य गठन के 23वर्ष बाद भी सक्ती जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां के वाशिंदे मूल भूत सुविधाओं से वंचित है और समस्याओं से जकड़े हुए हैं। यहां सड़क-पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच सकी हैं। ऐसा ही नवीन जिले सक्ती के ग्रामीण इलाके के गांव के लोग विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर हैं। जंहा के लोग वर्षों से समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन्हें सुलभ जीवनयापन के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। उन्हें मताधिकार तो मिला है लेकिन इसका फायदा चुनाव लड़ने वालों तक सीमित है। चुनाव जीतने के बाद सरपंच से लेकर विधायक-सांसदों को इस गांव की बेहतरी के लिए समय नहीं मिला। ये हालात यकायक नहीं बने, बल्कि आजादी के बाद से ही उपेक्षा का दंश इस गांव के लोग भोगते आ रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार इस गांव में न तो पेयजल की उपलब्धता के लिए कोई सरकारी योजना संचालित है, न ही गांव से शहर की ओर जाने के लिए पक्का मार्ग ही यहां निर्मित हो सका है। इसके अलावा उनका जीवन नरक समान है। यदि किसी घर में कोई बीमार पड़ जाए तो यहां पर एंबुलेंस आदि का आना नामुमकिन है। ग्रामीण ही अपने बीमार स्वजन को चारपाई पर लेटाकर उसे कांधे पर रखकर शहर की ओर भागते हैं। बात करने पर ग्रामीणों का आक्रोश भी सामने आ जाता है। उनके अनुसार देश की आजादी को भले ही 75 साल का वक्त हो गया हो लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला है।वे आज भी समस्या रूपी गुलामी में जीने को विवश हैं। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ व केंद्र सरकार द्वारा दर्जनों योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। ग्राम विकास के दावे किए जा रहे हैं लेकिन इसका लाभ भी गांव के लोगों को नहीं मिला है। ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों से लेकर जनपद तक के जिम्मेदारों को यहां के हालातों के बारे में पता है। इसे लेकर कई बार शिकायतें की गईं, राहत मांगी गई लेकिन हुआ गया, कुछ नहीं। प्रशासनिक अधिकारी समस्याओं पर तमाशबीन बने हुए हैं। जनप्रतिनिधियों की तरह अधिकारी भी सिवाय कोरी घोषणाएं करने के अलावा कोई राहत नहीं दे सके हैं।

पुल न होने से उफनती नदी पार कर स्कूल जाने को बच्चे मजबूर

ज्ञातव्य हो कि छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का समय नजदीक है।विकास के नाम पर नेता वोट रूपी भीख मांगने घर घर दस्तक देंगे?जैसा कि हर चुनाव में होता चला आ रहा है,लेकिन विकास कितना हुआ,लोगों को कितना फायदा हुआ ये धरातल पर उतरने पर ही पता चलता है। ऐसे ही विकास की हकीकत नवीन जिले सक्ती के जैजैपुर विधानसभा में देखने को मिल रहा है। यहां के एक गांव में नदी में पुल नहीं होने की वजह से स्कूली बच्चों और ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।और अब हालत ऐसे हो गए हैं कि अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने को डरते है। क्योंकि जन्हा बच्चों को स्कूल जाने के लिए नदी में बने स्टाप डेम पर कूदते, छालांग लगाते हुए जाना पढ़ता है। हम बात कर रहें है। जनपद पंचायत जैजैपुर के ग्राम पंचायत गाड़ामोर की आश्रित ग्राम जुनवानी की जहां बच्चो को बरसात के दिनो मे गांव के नजदीक से बहती हुई बैजन्ती नाला को पार कर गांव से तीन किलो मीटर दूर हरेठीखुर्द स्थित हाई स्कूल पढ़ने जाने को मजबूर है। वही पलको का कहना है। कि वैजन्ती नाला में पुल नही होने के कारण बच्चों को नदी पार करने के दौरान हादसे का डर बना रहता है।गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ के गठन के 23 वर्षों में चार बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।जिसमे लगातार पंद्रह वर्ष भाजपा की सरकार रही। तो वर्तमान में कांग्रेस की सरकार पांच वर्ष पूर्ण करने में कुछ ही माह शेष है। वही जैजैपुर विधान सभा में लगातार दस वर्षो से बसपा के विधायक है। लेकिन इन दस वर्ष में वैजन्ती नाला में पुल पुलिया का निर्माण नही हो सका जिसके कारण क्षेत्र के जनता परेशान है।अब फिर विधान सभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए प्रत्याशी बड़े-बड़े दावे तो करते रहे लेकिन विधायक बनने के बाद अपने सभी दावे भूल गए।ऐसा सक्ती जिले के जैजैपुर जनपद क्षेत्र के गाड़ामोर, जुनवानी के निवासी कह रहे है। जो लंबे समय से वैजन्ती नाला में एक पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। हर बार आश्वासन तो मिलता है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। आलम यह है कि इस क्षेत्र के बच्चों को बरसात के मौसम में अपनी जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पारकर स्कूल जाना पड़ता है। हाई स्कूल के बच्चे कई बार दुर्घटना के शिकार भी हो चुके हैं लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि अपनी आंख बंद किए हुए हैं। सिर्फ स्कूली छात्र ही नहीं बल्कि स्थानीय ग्रामीण भी मजबूरन उफनती नदी को पैदल पार कर आवश्यक कार्यों को लेकर जाने के लिए मजबूर होते हैं। दरअसल सक्ती जिले के जैजैपुर विकासखंड में स्थित जुनवानी गांव से हरेठी खुर्द के बीच नदी पड़ता है। जुनवानी गांव में केवल प्राथमिक स्कूल ही संचालित होती है जबकि हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल के लिए जुनवानी से तीन किलो मीटर दूर ग्राम पंचायत हरेठीखुर्द में पढ़ने जाना पढ़ता है।और बच्चों को स्कूल तक आने के लिए केवल नदी में बने स्टाप डेम पर उछल कूद कर जाना ही मात्र एक सहारा है।

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