मछुवारा निषाद (केवट) समाज छतीसगढ़ भाजपा हाई कमान से नराज….
मछुवारा निषाद (केवट) समाज छतीसगढ़ भाजपा हाई कमान से नराज….
निषाद समाज को प्रतिनिधित्व नही मिलने पर कड़ा विरोध करने का आव्हान सामाजिक नेतृत्व ने कही यह बड़ी बात
उमाशंकर दिवाकर गर्वित मातृभूमि रायपुर – राष्ट्रीय पार्टी भाजपा छतीसगढ़ निर्वाचन 2023 में मछुआरा समाज (निषाद-केवट, बिन्द, भोई, कहार, कहरा, मल्लाह, ढीमर ) के नेता (बेटा ) को मछुआरा समाज की मांग 8 विधानसभा से प्रत्याशी घोषित के रूप में मांग किया गया है जिसमे प्रमुख रूप से बेमेतरा , पंडरिया , दुर्ग ग्रामीण , गुंडरदेही , धरसीवा , जैजैपुर , राजिम , महासमुंद , बेलतरा , लेकिन दुर्भाग्य जनक है पहले सूची में भी जगह नही दिया गया है जिसमे राजिम अन्य समाज के खाते में चला गया है। कुछ दिन पहले सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरी लिस्ट चर्चा में रहा जहाँ एक भी मछुवारा का नाम नही आना मछुवारों के लिए निराशाजनक है खैर यह पार्टी की अधिकृत सूची नही है। समाज के नेताओं द्वारा पार्टी के नेताओं से चर्चा पर पता चला की यह अधिकृत सूची नही है यदि भाजपा अपनी अधिकृत सूची में मछुवारा को प्रतिनिधित्व देने का आश्वासन दिया गया है यदि प्रतिनिधित्व नही देता तो उन्हें निश्चित ही 2023 का परिणाम निराशा हाथ लग सकती है क्योंकि सम्पूर्ण छतीसगढ़ में मछुवारा की जनसंख्या 7 प्रतिशत के साथ लगभग 25 लाख आबादी निवासरत है जिससे आज तक पार्टी नजर अंदाज करते आ रही है और केवल वोट बैंक समझ बैठी है अब मछुवारों को आगे आकर राजनितिक दलों को मुँह तोड़ जवाब मतदान के रूप में 2023 विधानसभा निर्वाचन में दिखेगा वही निषाद पार्टी up से आकर छतीसगढ़ के मछुवारों को ठगने का काम किया है जो nda का अपने आप को घटक दल कह रहा था पल्ला झाड़ रहा है निषाद पार्टी से चुनाव लड़ने से उनकी सुप्रीमो ने मना कर दिया है अब छतीसगढ़ का मछुवारा किसी के बहकावा में नही आएगा ।आने वाले समय के लिए समाज के नेताओं का खुला आव्हान हो रहा है इस समय मछुआरा समाज खुलकर राष्ट्रीय पार्टियों को जो प्रतिनिधित्व नही देगी विरुद्ध काम करेंगी और मछुवारों को प्रतिनिधित्व के रूप में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 30 विधानसभा में लड़ाएगी और मछुवारा वोट को पक्ष मे करेंगे जिससे जो सत्ता में बैठे उन्हें भी कोई खास काम मछुवारों के लिए नही किया हाँ एक निषाद को विधायक प्रतिनिधित्व जरूर दिया जो आज संसदीय सचिव और विधायक है, वही मछुवा कल्याण बोर्ड में अध्यक्ष निषाद को ही बनाया जबकि अनुसूचित जनजाति का आरक्षण बहाल को लेकर सत्ता में आई है वही जबकि भाजपा 15 साल की सत्ता में निषादो को कोई महत्व ही नही दिया अब देखना है क्या यहि स्तिथि कमोबेश बने रहेगा इसलिए दोनों राष्ट्रीय पार्टी चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा विचार तो उन्हें ही करना है सत्ता में आना चाहते है की नही अन्यथा 2023 में पूर्ण बहुमत की सरकार नही बनने देगी मछुवारा समाज