नियम विरुद्ध तरीके से जिले में की जा रही है गिरदावरी त्रुटिपूर्ण गिरदावरी कहीं न बन जाए किसानों और सरकार के गले की फांस।
नियम विरुद्ध तरीके से जिले में की जा रही है गिरदावरी।
त्रुटिपूर्ण गिरदावरी कहीं न बन जाए किसानों और सरकार के गले की फांस।
मो0 सुल्तान सूरजपुर
सूरजपुर/:– फसलों के भौतिक निरीक्षण का कार्य गिरदावरी नियम विरुद्ध तरीके से जारी है। राजस्व विभाग के द्वारा पटवारियों के माध्यम से कराए जा रहे गिरदावरी में भू राजस्व संहिता की धारा 121 का पालन नहीं किया जा रहा है। गिरदावरी का कार्य महज औपचारिकाताओं के बीच किया जा रहा है और प्रषासनिक वाहवाही लूटने का कार्य किया जा रहा है। इस गिरदावरी से ना तो पटवारियों द्वारा नक्षे को शुद्ध करने का कोई प्रयास किया जा रहा है और न ही किसानों को इससे कोई लाभ होता नजर आ रहा है। उल्टे हर साल त्रुटिपूर्ण गिरादवरी से हजारों किसानों की भीड़ तहसील कार्यालयों के चक्कर काटती रहती है। वहीं गिरदावरी में राजस्व विभाग द्वारा त्रुटिपूर्ण नक्षे को सुधार करने का कोई प्रयास ही नहीं किया जाता। त्रुटिपूर्ण नक्षे का सुधार कराने राजस्व विभाग में लूट की खुली छुट है।
क्या कहती है धारा 121
पटवारियों द्वारा प्रत्येक वर्ष कार्यकारी नक्षा को गिरदावरी के दौरान शु़द्ध किया जाएगा। उनके द्वारा नक्षे में दिए गए अनुसार भू-खंड की सीमाओं की जांच-पड़ताल उन सीमाओं से जो भूमि पर यथार्थतः विद्यमान है, करेगा और नक्षा, जहां कहीं भी आवष्यक हो उसको शुद्ध करेगा। जबकि खसरा को पटवारी द्वारा जांच एवं वास्तविक निरीक्षण करने के बाद ही मौके पर लिखा जाएगा। इसके अलावा भी अन्य कई प्रावधान इस नियम के तहत किए गए हैं जिन पर राजस्व विभाग समेत जिले के आलाअधिकारी और राज्य सरकारें भी कभी ध्यान नहीं दी हैं।
गले की फांस बनेगा गिरदावरी
प्रदेष में जबसे कांग्रेस की सरकार बनी है तब से फसलों की गिरदावरी किया जाने लगा। विगत पौने पांच साल गिरदावरी को लेकर किसानों में जमकर आक्रोष था। पटवारियों द्वारा कई किसानों का गिरदावरी में रकबा की कटौती कर दी जाती थी जिसका सुधार कराने में किसानों को तहसील कार्यालयों के चक्कर कटवाए जाते थे। आलम तो ये था कि गत वर्ष कई किसानों का रकबा ही शून्य हो गया था जिसे अधिकारियों और नेताओं की पहल पर सुधरवाया जा सका। इसके बावजूद कई किसान धान बेचने से ही वंचित रह गए थे। वहीं पटवारियों द्वारा त्रुटिपूर्ण नक्षे का सुधार कराने की कोई पहल भी नहीं की जाती जिसके कारण किसानों को तहसील एवं अनुविभाग कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ता है।
किसानों की जमीन की चोरी – बाबूलाल अग्रवाल
भूपेष सरकार के कार्यकाल में किसानों की जमीन ही चोरी हो जाने का मामला पहली बार प्रकाष में आया है। भू-माफियाओं का राज है जहा किसानों को रकबा के नाम पर परेषान कर धान न खरीदने का एक बहाना मात्र है। राजस्व विभाग किसानों को लूट कर अपने आकाओं का पेट भरने में व्यस्त है जो अधिकारी कर्मचारी जितना ज्यादा लूटता है उसको विभाग द्वारा उतना ही उपकृत किया जाता है। गिरदावरी नियमानुसार और त्रुटिपूर्ण नक्षे का सुधार भी हो।