बड़सरा क्षेत्र के पटवारी के कार्यषैली से ग्रामीणों में रोष नहीं उठाते फोन।मुख्यमंत्री द्वारा घोषित हेल्पलाइन नंबर पर नहीं लगता फोन, लोगों ने कहा- योजना महज दिखावा।
बड़सरा क्षेत्र के पटवारी के कार्यषैली से ग्रामीणों में रोष नहीं उठाते फोन।
मुख्यमंत्री द्वारा घोषित हेल्पलाइन नंबर पर नहीं लगता फोन, लोगों ने कहा- योजना महज दिखावा।
मो0 सुल्तान सूरजपुर
सूरजपुर/:– प्रदेष की कांग्रेस सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल ही नहीं लगता। सरगुजा में पटवारियों की दुकानदारी पर रोक लगाने के उद्देष्य से मुख्यमंत्री द्वारा घोषित हेल्पलाइन महज दिखावा साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री भूपेष बघेल के इस हवा हवाई घोषणा पर लोगों में आक्रोष व्याप्त है। विदित हो कि विगत वर्ष बलरामपुर-सूरजपुर जिले में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री भूपेष बघेल को पटवारियों द्वारा आमजनमानस से किए जा रहे वसूली की षिकायतों से त्रस्त होकर पटवारियों पर सख्ती बरतते हुए प्रदेष स्तर पर टॉल फ्री हेल्पलाइन नंबर 155343 या 9630524516 जारी किया था। जिसको लेकर कहा गया था कि कोई भी पटवारी नामान्तरण, सीमांकन या अन्य कार्याें के लिए रिष्वत की मांग करता है तो उक्त नंबर पर हितग्राही द्वारा षिकायत दर्ज कराई जा सकेगी जिस पर पटवारी पर कार्यवाही पहले होगी और पूछताछ बाद में होगी वहीं जारी नंबर पर कॉल नहीं लगने से आमजनमानस खुद को छला महसूस कर रहे हैं।
बड़सरा के हलका पटवारी नहीं उठाते फोन
भैयाथान तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत बड़सरा में पदस्थ हलका पटवारी पीतांबर कुषवाहा क्षेत्र के लोगों का न तो कॉल रिसीव करते हैं और न ही कॉल बैंक करते हैं। जिसकी षिकायत भैयाथान अनुविभाग राजस्व अधिकारी सागर सिंह से की गई है। पटवारी का गैर जिम्मेदार रवैया से लोगों में आक्रोष व्याप्त है। गौरतलब है कि इन दिनों सहकारी समितियों में धान खरीदी का पंजीयन कार्य किया जा रहा है। पंजीयन के बगैर किसान अपना धान नहीं समितियों में नहीं बेच सकेंगे। वहीं जिन किसानों के रकबे में संसोधन किया जाना है उन्हें गिरदावरी की रिपोर्ट देना आवष्यक है। ऐसे में पटवारी का ग्रामीणों का कॉल रिसीव नहीं करना ग्रामीणों के लिए परेषानी का सबब बन गया है।
विधायक और मंत्री दबाव बनाकर कराते हैं वसूली
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयनाथ सिंह केराम ने कहा कि विधायक और विभाग के मंत्री द्वारा पटवारियों पर राजनैतिक दबाव बनाकर ग्रामीणों से वसूली कराते हैं। राजस्व विभाग के अधिकांष अधिकारी-कर्मचारी महज विधायकों और मंत्रियों के लिए वसूली का जरिया मात्र हैं इसलिए उन पर प्रषासनिक स्तर की कार्यवाही भी नहीं होती है।