गौरवशाली भारत देश के हमारे वैज्ञानिकों ने वह संभव कर दिखाया जिसका सपना विश्व के बड़े-बडे़ महाशक्तियॉं देखा करती थी – विहिप जिला मंत्री रामचंद्र देवांगन…
चॉंद के दक्षिणी हिस्से पर ध्वज लहराने वाला भारत विश्व का इकलौता देश बन गया…
जय भारत, जय विज्ञान…
आज शाम तेईस अगस्त दो हजार तेईस को देश ने ब्रह्माण्डीय पटल पर इतिहास रच दिया…कभी ‘चंदा मामा दूर के’ गाना गाते थे। आज वैज्ञानिकों ने वह दूरी पाट दी। चंद्रयान-तीन की सफल लैंडिंग का गौरव अपने आप में अद्भुत है। विश्व के देशों में केवल अमेरिका, रूस व चीन का ही दबदबा वहॉं तक था, आज देश के वैज्ञानिकों ने गौरवशाली भारत का नाम भी चॉंद की जमीं पर अंकित कर दिया। विश्व इतिहास में आज का दिन भारतीय गौरव दिवस के रूप में दर्ज रहेगा जो हमेशा देशवासियों को गौरवान्वित करता रहेगा…
चौदह जुलाई को चंद्रयान के प्रक्षेपण के साथ ही देशवासियों की निगाहें चॉंद पर टिकी थी। असमंजस, पशोपेश, रोमांच, साहस, उत्सुकता और विश्वास के कई दौर चलते-बदलते रहे। और अंततः: आज वह दिन आ भी गया जिसका बेसब्री से सबको इंतजार था। इसरो द्वारा शाम छह बजकर चार मिनट लैंडिंग का टाइम निर्धारित किया गया था अत: जैसे-जैसे दोपहर के बाद का समय नजदीक आता गया कौतूहल बढ़ता गया। शाम साढ़े पॉंच बजे के बाद तो जैसे सबकी सॉंसे रूक-रूक कर चलने लगीं। पूरे देशवासियों सहित विश्व पटल की निगाहें भी टीवी, मोबाइल, प्रोजेक्टर की स्क्रीन पर टिकी हुई थी। जैसे-जैसे रोवर चॉंद के नजदीक पहुँचता गया, धड़कनें बढ़ती गईं। जब रोवर चॉंद से कुछ मीटर की दूरी पर ही थी कि हर्षोल्लास का वातावरण बनता गया, हाथ खुद-ब-खुद तालियों की गड़गड़ाहट के लिए उठने लगे। जुबान से स्वत: भारत माता की जयघोष के नारे लगने लगे और अतत: पूरे विश्व ने देखा, अद्भुत, अद्भुत इतिहास रचा जा चुका था…
यह हम सब देशवासियों के लिए बड़े ही गर्व की बात है कि हमारे वैज्ञानिकों ने वह संभव कर दिखाया जिसका सपना विश्व के बड़े-बड़े महाशक्तियॉं देखा करते हैं। चॉंद के दक्षिणी हिस्से पर ध्वज लहराने वाला भारत विश्व का इकलौता देश बन गया।हमें गर्व है, गर्व है, गर्व है अपने देश पर, देश के वैज्ञानिकों पर, वैज्ञानिक उपलब्धियों पर।
!! जय भारत, जय विज्ञान !!