विद्यालय से शिक्षक हमेशा रहते हैं नदारद बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा पर पड़ रहा है असर जिम्मेदार बने अनजान।
विद्यालय से शिक्षक हमेशा रहते हैं नदारद बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा पर पड़ रहा है असर जिम्मेदार बने अनजान
मो0 सुल्तान सूरजपुर
सुरजपुर/:– जिले में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का मामला सामने आया है जहां विकासखंड भैयाथान के अंतर्गत आने वाला संकुल केंद्र चंद्रमेढ़ा के शासकीय प्राथमिक शाला पहाड़ अमोरनी के एक शिक्षक स्कूल से हमेशा नदारद रहते हुए बच्चों के भविष्य के साथ कर रहे हैं खिलवाड़।
42 बच्चों के बीच पदस्थ हैं तीन शिक्षक
भैयाथान विकासखंड के संकुल केंद्र चंद्रमेढ़ा अंतर्गत स्थित शासकीय प्राथमिक शाला पहाड़ा अमोरनी के स्कूल में 42 विद्यार्थी अध्ययनरत है जहां पहली से पांचवी तक की पढ़ाई होती है 42 विद्यार्थियों के बीच 3 शिक्षकों को पदस्थ किया गया है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके और उनकी प्रारंभिक न्यू मजबूत हो क्योंकि बच्चों की प्रारंभिक पढ़ाई अच्छे से होती है उनकी न्यू मजबूत होती है तो बच्चे को आगे पढ़ाई करने में कठिनाई नहीं होती।
पदस्थ 3 शिक्षकों में एक शिक्षक हमेशा रहता है नदारद
शासकीय प्राथमिक शाला पहाड़ा अमोरनी में 3 शिक्षकों में से एक शिक्षक ऐसे भी हैं जो अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीर दिखाई नहीं देते जो स्कूल से लगभग महीने भर नदारद ही रहते हैं अगर उनकी स्कूल की उपस्थिति पंजी देखी जाए तो महीने में लगभग 10 दिन उनकी उपस्थिति मिल जाए तो बहुत है और ऐसे महान शिक्षक का नाम है भुनेश्वर प्रसाद सोनपाकर जो सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ है क्या ऐसी शिक्षकों की नियुक्तियों से बच्चे पढ़ पाएंगे अपने भविष्य सवार पाएंगे यह एक गंभीर सवाल है जहां बच्चों से पूछने पर बच्चे खुद बताते हैं कि सोनपाकर सर स्कूल प्रतिदिन नहीं आते है वो हमेशा से बाहर रहते हैं जो एक दिन स्कूल आकर चार दिन अनुपस्थित रहते।
प्रतिदिन स्कूल से डाटा प्राप्त होने के बाद भी क्यों नहीं होती बड़ी कार्यवाही
भैयाथान विकासखंड अंतर्गत स्कूलों के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का यह मामला कोई नया नहीं है ऐसे मामले कई स्कूलों में होना आम बात है जो ऐसा ही खेल पहाड़ा अमोरनी के शासकीय प्राथमिक शाला में एक शिक्षक के द्वारा खेला जा रहा है जहा के हेड मास्टर से बात करने पर उनके द्वारा बताया गया कि यह मामला सही है शिक्षक भुनेश्वर प्रसाद सोनपाकर स्कूल में हमेशा अनुपस्थित रहते हैं वह 1 दिन आते हैं और 4 दिन गायब रहते हैं जबकि हमारे द्वारा स्कूल का रोजाना डाटा तैयार कर संकुल के माध्यम से अधिकारियों को भेजा जाता फिर अधिकारियों के द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है या नहीं इस पर हमें कोई भी जानकारी नहीं पता।
जब ऐसे मामले पता चलते हैं उन मामलों को उजागर किया जाता है मीडिया के माध्यम से तो क्या विभाग के अधिकारियों को ऐसे दिशाहीन और अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीन रहने वाले शिक्षकों पर कठोर से कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए कि ऐसे शिक्षकों पर एक मैसेज जाए कि विभाग कुछ भी कार्रवाई करने के लिए सक्षम है जो शिक्षक अपने कार्य के प्रति जिम्मेदारी नहीं बरतते या फिर विभागीय अधिकारी ही ऐसे शिक्षकों को सह देते हैं जो अपने कार्यों के प्रति गंभीर नहीं रहते ऐसे में बच्चों के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा आप खुद सोच सकते हैं क्योंकि आप एक जिम्मेदार नागरिक हैं और एक जिम्मेदारी भरी नागरिकता का कर्तव्य आपको भी निभाना है लेकिन कैसे जब अधिकारी कान में रुई लगा कर सोते हो।
क्या करते हैं जिम्मेदार अधिकारी
इस संबंध में जब विकासखंड शिक्षा अधिकारी भैयाथान फूलसाय मरावी से फोन पर जानकारी ली गई तो उनके द्वारा बताया गया कि संबंधित सहायक शिक्षक भुनेश्वर प्रसाद सोनपाकर का वेतन पहले से ही रोका गया है और ऐसे शिक्षक जब स्कूल आना ही नहीं चाहते तो उनको कोई क्या कर सकते हैं।