छत्तीसगढ़ की खनिज संपदा से संपन्न भूमि व सरल -सीधे भूमि पुत्रों पर सत्ता प्रश्रय प्राप्त लोहा-सीमेंट कंपनियों के लूट-ठगी से त्रस्तकिसानों-मजदूरों ने हक – न्याय पाने LSU प्रमुख लखन सुबोध से अपनी बात रखी
गर्वित मातृभूमि से दुर्गम दास रिपोर्ट
दिनांक 29-07-2023 को ग्राम पतईडीह थाना पचपेड़ी ,ब्लॉक मस्तूरी ,जिला -बिलासपुर के कुछ ग्रामीणों ने “लोक सिरजनहार यूनियन” [LSU] की किसान-मजदूर पक्षकारी गतिविधियों से परिचित होने पर LSU ऑफिस बिलासपुर आकर LSU प्रमुख लखन सुबोध से भेंटकर बताया कि,हमारे गांव में कम्पनियों ने किसानों से भूमि को जिन कानूनी प्रावधानों के तहत खरीद है, उस तरह से काम न कर, अपनी मनमानी से काम कर रहा है।
इस पर श्री सुबोध उस गांव में जाकर कंपनी प्रभावित किसानों -मजदूरों से बैठक कर जानकारी संकलित किया ।
जानकारी में यह बात प्रमुखता से सामने आई कि,कई किसानों की जमीन को कंपनी अपने दलालों के माध्यम से कम रेट पर खरीदवाया ।जिससे कानून-नियम प्रावधानित रेट कंम्पनी को न देना पड़े।
पुर्नवास कार्यक्रम जो जनसुनवाई के समय लिखा-बताया गया था ,उस पर कामगार का प्रशिक्षण ,काम में रखने आदि का पालन नहीं किया जा रहा है।
कुछ लोगों को दलालों के माध्यम से काम मे रखकर किसानों मजदूरों के बीच फुटमफ़ाट का वातावरण बनाता है । *जीविका की आवश्यकता -प्राथमिकता की पारदर्शिता* के आधार पर काम नही दे रहा है।
सबसे बुरी स्थिति उन खेतिहर मजदूरों की है ,जो जिन खेतों में काम करके [किसानों द्वारा मजदूरी-रोजगार पाकर] जीविका का साधन था,वह अब पूरी तरह खत्म हो गया है । *जीविका छिनने से वे बाहर पलायन करने और बँधुआ* बनने मजबूर हो गए हैं ।
जबकि सरकार को कंपनी द्वारा किसानों के साथ खेतिहारों को आवश्यक प्रशिक्षण देकर काम देने के लिए *कंपनी की कानूनी जिम्मेदारियों* को मनवाने उचित कदम उठाना चाहिए था।
कंपनी स्थापना व इसकी मंजूरी के लिए जनसुनवाई के समय प्रशासनिक अधिकारी रात- दिन *ग्रामीणों के बीच दौड़ लगाते* थे।
अब, जब जमीन कंपनी का हो गया और किसान- मजदूर त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, तो सरकार के किसी *मंत्री विधायक- अफसर का अता- पता* नहीं है।
ग्रामीणजन जनसमूह में कंपनी के पास जाकर काम देने की गुहार लगाते हैं,तो कंपनी द्वारा *लोगों को जेल में डाल देने* की धमकी देते हैं और अपने दलालों- गुंडों को [ गांव के कथित मुखिया- जन प्रतिनिधियों जो राजनैतिक दलों के प्रकट दलाली करते और अपने को कानून से ऊपर मानते हैं] माध्यम से डराते -धमकाते हैं।
लेकिन LSU की बात को सुन- समझकर बैठक में उपस्थित लोगों ने मजबूत *यूनियन/ संगठन बनाकर जन- आंदोलन संगठित करने* का निर्णय लिया। आगामी दिनों में प्रशासन को ज्ञापन देने व उचित कार्यवाही नहीं होने पर सभा- प्रदर्शन , आम- हड़ताल करने निर्णय लिया गया।