December 23, 2024

सिल्क समग्र योजना से मलबरी रेषम उत्पादन बढ़ाने में लगा विभाग

सिल्क समग्र योजना से मलबरी रेषम उत्पादन बढ़ाने में लगा विभाग

 

मो0 सुल्तान सूरजपुर                                 सूरजपुर/15 मई 2023/  रेशम   का उत्पादन बढ़ाने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा सिल्क समग्र योजना प्रारम्भ किया गया है। जिसमें 80ः (केद्रांश) 10ः (राज्यांष) एवं 10ः (हितग्राही अंष) का प्रावधान है, केन्द्रीय रेषम बोर्ड द्वारा मलबरी रेषम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को जिला के रेषम विभाग द्वारा भी क्रियान्वित किया जा रहा है। इसका लाभ दिलाने के लिए रेशम विभाग सूरजपुर के सहायक संचालक द्वारा लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। योजना के क्रियान्वयन हेतु विभाग के विभीन्न केन्द्रों जैसे- बैजनाथपुर, मदनेष्वरपुर, एवं प्रेमनगर में नर्सरी तैयार की जा रही है, जिसमें 3.30 लाख नर्सरी तैयार होगी।

रेशम केन्द्र बैजनाथपुर में तैयार किया जा रही शहतूत नर्सरी
जिले में योजना हेतु वर्ष 2022-23 में 55 किसानों की स्वीकृति मिली है, जिसके अन्तर्गत वर्षा ऋतु में पौधरोपण किसानों के खेतों में किया जायेगा। योजना का लाभ लेने से किसान वर्ष में 4 से 5 फसल ले सकते हैं। जिससे वर्ष में वे 1 से 1.25 लाख रू. तक कमा सकते हैं, सिल्क समग्र योजना में ऐसे निजी किसान भी लाभ ले सकते हैं, जो रेषम विभाग में पंजीकृत नहीं है। तिलहन-दलहन की फसल का लाभ लेने वाले ऐसे सिंचित भूमि के किसी भी इस योजना में भागीदारी करेंगे। केन्द्रीय योजना अन्तर्गत सिंचित भूमि पर पानी की सिंचाई व्यवस्था के लिए 60 हजार रुपए का अनुदान और पौधरोपण के लिए 60 हजार का अनुदान दिया जाएगा। फसल उत्पादन के बाद रेषम के कीड़ों को व्यवस्थित रखने के लिए भवन निर्माण के लिए 3 लाख 25 हजार रूपए का अनुदान भी दिया जाएगा। किसानों को उन्नत फसल के लिए 50 हजार का अलग से अनुदान भी दिया जाएगा और कीटनाषक दवाई छिड़काव के लिए 5 हजार रूपए की दवाइयां भी दी जाएगी। किसानों को केन्द्रीय की शहतूत रेषम बाड़ी योजना का लाभ लेने के लिए 1 एकड़ भूमि पर 5 लाख रूपए का अनुदान विभाग द्वारा दिया जाएगा। इस योजना में जमीन उपलब्ध कराने के बाद संबंधित किसान को 10 प्रतिशत की राशि जमा करनी होगी। 10 प्रतिशत की राशि राज्य शासन देगा और शेष राशि केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। सहायक संचालक रेशम सूरजपुर ने बताया की सिल्क समग्र योजना में पंजीकृत और निजी किसान दोनों ही लाभान्वित होंगे और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होंगे।

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