अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के दिन छत्तीसगढ़ में बोरे बासी दिवस मनाकर इस देसी छत्तीसगढ़ी व्यंजन को प्रचलित किया जा रहा-कविता योगेश बाबर
डाकेश्वर साहू (धमतरी) :- छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब से राज्य की बागडोर संभाले हैं तब से निरंतर वे गाँव ग़रीब और किसानों के प्रति सहानुभूति पूर्वक योजनाएं बनाकर उसे अमलीजामा पहनाने का कार्य कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परम्परा को पुनर्जीवित करने का कार्य यदि किसी ने किया है तो वह भूपेश बघेल की सरकार है । चाहे वह छत्तीसगढ़ी तीज त्योहार हो या स्थानीय खेल कूद हो।सभी परम्पराएँ जो विलुप्ति की कगार पर थी उसे पुनर्जीवित कर जनमानस को प्रोत्साहित किया जा रहा है । शासन के माध्यम से योजना बनाकर और पुरस्कार राशि भी देकर इसके परिणाम स्वरूप लोगों के अंदर जनभावनाओं का अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए एक उत्साह का सैलाब उमड़ पड़ा है। इसी तारतम्य में एक मई को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस मनाया जाता है। सामान्यतः पुराने समय में मज़दूर वर्ग के लोग बासी खाकर अपने कार्य में जाने की परंपरा रही है, लेकिन विगत कुछ समय से यह परम्परा विलुप्त होती जा रही थी । लोग बासी को मज़दूरों का भोजन समझते थे लेकिन आज के इस आधुनिक युग में जहाँ लोग पाश्चात्य खानपान एवं आहार के प्रति आकर्षित हो रहे थे उस परंपरा को तोड़ने का कार्य भूपेश बघेल ने किया और बोरे बासी ना केवल छत्तीसगढ़ में अपितु राष्ट्रीय स्तर में इसे प्रचारित एवं प्रोत्साहित किया। जैसा कि हम जानते हैं, कि वैज्ञानिक तथ्यों से भी यह सिद्ध हो गया है कि बासी में भरपूर मात्रा में प्रोटीन विटामिन होता है। गर्मी के दिनों में इसका सेवन करने से मनुष्य के शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है एवं डिहाइड्रेशन की शिकायत भी नहीं होती। आज वर्तमान समय में यह सिर्फ़ मज़दूरों के बीच ही नही, अपितु मध्यम एवं उच्च वर्ग के लोगों के बीच भी सुबह का प्रिय आहार बन चुका है। एक मई मज़दूर दिवस बोरे बासी त्योहार मज़दूरों के श्रम का सम्मान का दिवस है।अतः सभी प्रदेशवासियों को मैं कविता योगेश बाबर अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस एवं बोरे बासी तिहार की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ।