December 23, 2024

इतिहास के पन्नों से सामाजिक न्याय के पुरोधा,भारतीय संविधान के शिल्पकार परमपूज्य,बोधिसत्व विश्वरत्न,भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर … विजय देशलहरे, मानवअधिकार एवं जन सूचना अधिकार संघ भारत छ्त्तीसगढ…देखिए खास खबर….

इतिहास के पन्नों से सामाजिक न्याय के पुरोधा,भारतीय संविधान के शिल्पकार परमपूज्य,बोधिसत्व विश्वरत्न,भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर … विजय देशलहरे, मानवअधिकार एवं जन सूचना अधिकार संघ भारत छ्त्तीसगढ…

गर्वित मातृभूमि :- छत्तीसगढ़ – बेमेतरा इतिहास के पन्नों से सामाजिक न्याय के पुरोधा,भारतीय संविधान के शिल्पकार परमपूज्य,बोधिसत्वभारतरत्न,आधुनिक भारतीय संविधान के शिल्पकार,आजाद भारत के प्रथम कानून मंत्री, महान अर्थशास्त्री, महामानव,महिलाओं के अधिकारों के रक्षक,महिला सशक्तिकरण के महानायक,मजूदरों के मशीहा,अखंड भारत को एक सूत्र में बांधने वाले,बहुजनों के पैरों से गुलामी की जंजीरों को काटनें वाले,सर्व समाज की नारी को सम्मान दिलाने वाले, गूंगों को जुबान,बहरों को कान,अंधो को आंख देने वाले परम पूज्य महामानव,बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के जन्मोत्सव की हार्दिक बधाईयां एवं शत्-शत् नमन।
‘‘जब जरूरत थी चमन को तो लहू हमने दिया अब बहार आई तो कहते हैं तेरा काम नहीं है
सम्मानिय पाठकों परम पूज्य बोधिसत्व भारत रत्न डा बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके विचार आज भी जिंदा है,उनको मानने और जानने वालों की तादाद बहुत तेजी से बढ़ रही है |*
जिसने देश को दी नई दिशा जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान |
दामोदर घाटी परीयोजना,महानदी डैम,सोनघाटी बांध, दामोदर और हिंराकूड परीयोजना जैसे 15 बड़े बांधों के निर्माण में बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने अहम भूमिका निभाई और उन्हें पुरा कराया सम्मानित साथियों क्या आप लोगों को पता है आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर को भारत रत्न ,कोलम्बिया युनिवर्सिटी की और से ‘द ग्रेटेस्ट मैं द वर्ल्ड’ कहा गया। वही ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी से ‘द यूनिवर्स मेकर’ कहा गया। इसके साथ ही आईबीएन ,आउटलुक मैगज़ीन और हिस्ट्री (टीवी चैनल ) के किए गए सर्वे में आज़ादी के बाद देश का सबसे महान व्यक्ति चुना गया है। लेकिन बाबा साहेब के सपनों का भारत अब भी दूर है |आधुनिक भारत के लिए महत्त्वपुर्ण योगदान और देश इंसानों के जीवन में अद्वितीय बदलाव लाने वाले महान शख्सियत, आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक,परम पूज्य बोधित्सव बाबासाहेब डा भीमराव आंबेडकर जी के चरणों में मैं कोटि-कोटि नमन करता हूं |परम पूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी का जीवन परिचय एक नजर में |
आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक परम पूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल,1891 को तत्कालीन ब्रिटिश भारत के केंद्रीय प्रांत (मध्य प्रदेश) के इंदौर के पास महू शहर की छावनी में एक महार परिवार में हुआ था। भारतीय सामाजिक व्यवस्था में महार जाति को अछूत समझा जाता था,इसलिए बाबासाहेब जी का बचपन काफी कठिनाइयों से गुजरा | बाबासाहेब अम्बेडकर जी की माता जी का नाम भीमा बाई और पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था। बाबा साहेब जी के पिता सेना में सूबेदार थे बाबा साहेब आंबेडकर जी का परिवार महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अंबावडे गांव के मूल निवासी थे | माता-पिता और गांव के नाम पर बालक का नाम भीमराव रामजी अंबावडेकर पड़ा, जैसा कि महाराष्ट्र में प्रचलन में था | बाबासाहेब जी बचपन से ही पढ़ने में विलक्षण प्रतिभा के थे। छुआछूत प्रथा होने के वजह से बाबासाहेब जी को स्कूल में क्क्षा के बाहर भी रहकर पढ़ना पड़ा था |छुआछुत की भावना इस तरह मजबूत थी की स्कूल का चपरासी भी इनको पानी दूर से ही पिलाता था और जिस दिन यदि चपरासी स्कूल नही आता तो भीमराव अम्बेडकर और अन्य इन जाति के बच्चो को बिना पानी पिये ही रहना पड़ता था शायद इससे बड़ी छुआछुत की भयानकता क्या हो सकती है की बिन चपरासी के प्यासे रहना पड़ता हो जिस पर भीमराव अम्बेडकर ने स्वय अपनी दुर्दशा को ‘ना चपरासी ना पानी’ लेख के माध्यम से बताया है लेकिन इन सब से परे परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर जी गौतम बुद्ध के विचारो से बचपन से ही बहुत अधिक प्रभावित थे और बौद्ध धम्म को बहुत मानते थे |
माता रमाबाई अंबेडकर और बाबा साहेब अम्बेडकर जी का विवाह से 4,अप्रैल सन 1906 में हुआ था | तब बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की उम्र उस समय 14 वर्ष थी और बाबा साहेब जी 10 वी कक्षा में पढ़ रहे थे शादी के बाद रामी का नाम रमा हो गया था,शादी के पहले रमा बिलकुल अनपढ़ थी. किन्तु,शादी के बाद भीमराव अम्बेडकर जी ने उसे साधारण लिखना-पढ़ना सिखा दिया था. वह अपने हस्ताक्षर कर लेती थी | बाबा साहेब जी रमा को ‘रामू ‘ कह कर पुकारा करते थे जबकि रमा ताई बाबा साहब को ‘साहेब ‘ कहती थी परमपूज्यनीय त्याग समर्पण की प्रतीक महिलाओं के संघर्षो की मिशाल थी हमारी माता रमाबाई अम्बेडकर जी |
माता रमाबाई अंबेडकर जी,बाबा साहेब जी आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके विचार और संघर्षों की गाथा आज भी जिंदा है ,उनको मानने और जानने वालों की तादाद बहुत तेजी से बढ़ रही है |जालिमों से लड़ती भीम की रमाबाई थी मजलूमों को बढ़ के जो,आँचल उढ़ाई थी एक तरफ फूले सावित्री थे साथ लड़े” भीम साथ वैसे मेरी रमाई थी |
आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी को विश्वविख्यात महापुरुष बनाने में रमाबाई का ही साथ था आज हमारी महिलाओ चाहे वे किसी भी धर्म या जाति समुदाय से हो माता रमाबाई अंबेडकर जी पर गर्व होना चाहिए कि किन परिस्थितियों में उन्होंने बाबा साहेब का मनोबल बढ़ाये रखा और उनके हर फैसले में उनका साथ देती रही,खुद अपना जीवन घोर कष्ट में बिताया और बाबा साहेब की मदद करती रही |*
आज अगर भारत की महिलाएं आज़ाद है समता समानता के अधिकार मिले हुए हैं, तो उसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ माता रमाबाई अम्बेडकर जी और बाबा साहेब जी को जाता है हमारा फ़र्ज़ है उनको जानने का उनके त्याग समर्पण की भावना को पहचानने का माता रमाबाई अम्बेडकर जी योगदान को झुठला नहीं सकता है समाज लोग आज भी उन्हें ऐसे मुक्तिदाता के रूप में याद करते है |जो शोषित समाज के आत्मसम्मान तथा हित के लिए अंतिम साँस तक लड़ीं और हर कदम पर बाबासाहेब आंबेडकर जी का साथ दिया बाबासाहेब आंबेडकर जी और माता रमाबाई अंबेडकर जी को हम केवल इसी बात से जान सकते हैं कि,वे एक महान वकील होने के बाद भी अपने पुत्र गंगाधर की मृत्यु पर उनके जेब में इतने पैसे नहीं थे, कि अपने बेटे के लिए कफन खरीद सके, कफन के लिए माता रमाई अम्बेडकर जी ने अपने साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़ कर दिया |*
— माता रमाई ने 5 संतानों को जन्म दिया नाम थे —
1-यशवंतराव
2- गंगाधर
3-रमेश
4- इंदू
5- राज रत्न

गरीबी किसी को ना सताए

धन अभाव के कारण जब भोजन ही भरपेट नहीं मिलता था तब दवा दारू के लिए पैसे कहाँ से आते इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि यशवंतराव के अलावा सभी बच्चे अकाल ही काल कलवित हो गए दूसरे पुत्र गंगाधर के निधन की दर्द भरी कहानी डॉक्टर अंबेडकर ने इस प्रकार बतलाई थी दूसरा लड़का गंगाधर हुआ जो देखने में बहुत सुंदर था वह अचानक बीमार हो गया दवा दारू के लिए पैसा ना था उसकी बीमारी से तो एक बार मेरा मन भी डावांडोल हो गया कि मैं सरकारी नौकरी लूं | फिर मुझे विचार आया कि अगर मैंने नौकरी कर ली तो उन करोड़ो अछूतों का क्या होगा जो गंगाधर से ज्यादा बीमार है ठीक प्रकार से इलाज ना होने के कारण वह नन्ना सा बच्चा ढाई साल की आयु में चल बसा गमी में लोग आए बच्चे के मृत शरीर को ढकने के लिए नया कपड़ा लाने के लिए पैसे मांगे लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं कफन खरीद सकूँ अंत में मेरी प्यारी पत्नी रामू ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़ कर दिया उसी में ढंक कर उसे श्मशान पर लोग लेकर गए हैं और दफना आये,ऐसी थी मेरी आर्थिक स्थिति | पांचवा बच्चा राज रत्न बहुत प्यारा था रमाबाई ने उसकी देखरेख में कोई कमी नहीं आने दी अचानक जुलाई 1926 में उसे डबल निमोनिया हो गया काफी इलाज करने पर भी 19 जुलाई 1926 को दोनों को बिलखते छोड़ वह भी चल बसा माता रमाबाई को इससे बहुत सदमा पहुंचा और वह बीमार रहने लगे धीरे-धीर पुत्र शोक कम हुए तो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर महाड सत्याग्रह में जुट गये ! महाड में विरोधियों ने षडयंत्र कर उन्हें मार डालने की योजना बनाई यह सुनकर माता रमाबाई ने महाड़ सत्याग्रह में अपने पति के साथ रहने की अभिलाषा व्यक्त की धन्य है वो माँ जिसने माँ रमाई जैसी बेटी को जन्म दिया जिसने अपने त्याग समर्पण से बाबासाहेब अम्बेडकर जी को महान बना दिया सम्मानित साथियों इतने बड़े संघर्षों की बदौलत सर्व समाज की महिलाएं और बहुजन समाज सम्मान के साथ जी रहे हैं,आज भी करोड़ों ऐसे लोग जो बाबासाहेब आंबेडकर जी,माता रमाबाई अंबेडकर जी के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं साथियों ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है।जो उन्हें ताकत,पैसा, इज्जत, मान-सम्मान मिला है ।वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है,आधुनिक भारत के युगप्रर्वतक डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी के संघर्षों की बदौलत है राष्ट्रमाता रमाई अम्बेडकर ने यह कठिन समय भी बिना किसी गिला शिकवा-शिकायत के बड़ी आसानी से हंसते हंसते बीता लिया बाबा साहेब अम्बेडकर जी प्रेम से माता रमाबाई को “रमो” कहकर पुकारा करते थे,दिसंबर
1940 में बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने “थॉट्स ऑफ पाकिस्तान” पुस्तक लिखी यह पुस्तक उन्होंने अपनी पत्नी “रमो” को ही भेंट की भेंट के शब्द इस प्रकार थे मै यह पुस्तक रमो को उसके मन की सात्विकता, मानसिक सदवृत्ति,त्याग समर्पण की भावना ,सदाचार की पवित्रता और मेरे साथ दुःख झेलने में,अभाव व परेशानी के दिनों में जब कि हमारा कोई सहायक न था, सहनशीलता और सहमति दिखाने की प्रशंसा स्वरुप भेंट करता हूं उपरोक्त शब्दों से स्पष्ट है कि माता रमाई ने आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर जी का किस प्रकार संकटों के दिनों में साथ दिया और बाबा साहेब के दिल में उनके लिए कितना सत्कार और प्रेम था बाबा साहेब भी ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे,जिन्हें राष्ट्रमाता रमाई अम्बेडकर जैसी बहुत ही नेक जीवन साथी मिली सम्मानित साथियों हमारे मशीहा,आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक बाबा साहेब अम्बेडकर जी और माता रमाबाई अम्बेडकर जी को जो करना था समाज के प्रति वो कर गये,लेकिन जो हमें और हमारे समाज के लोगों को करना है वो हम नहीं कर रहें हैं प्रत्येक महापुरुष की सफलता के पीछे उसकी जीवनसंगिनी का बहुत बड़ा हाथ होता है जीवनसंगिनी का त्याग और सहयोग अगर न हो तो शायद,वह व्यक्ति,महापुरुष ही नहीं बन पाता आई साहेब रमाई इसी तरह के त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति थी साथियों ऐसे महान क्रांतिकारी वीरांगना माता रमाबाई को मेरा नीला सलाम तो ऐसे थे हमारे डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर,आज वे हमारे बीच नही है,पर उनके द्वारा किये गए कार्यों, संघर्षों और उनके उपदेशों से हमेशा वे हमारे बीच जीवंत है। संविधान के रचयिता और ऐसे अद्वितीय समाज सुधारक को हमारा कोटि-कोटि नमन बाबासाहेब आंबेडकर जी ने भारतीय संविधान के तहत कमजोर तबके के लोगों को जो कानूनी हक दिलाये है। इसके लिए बाबा साहेब आंबेडकर जी को कदम-कदम पर काफी संघर्ष करना पड़ा था साथियों परमपूज्य बोधिसत्व भारत-रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किल था परमपूज्य बोधिसत्व भारत-रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के संघर्षों में सबसे बड़ा योगदान माता रमाबाई अंबेडकर जी का रहा है।
प्रत्येक महापुरुष की सफलता के पीछे उसकी जीवनसंगिनी का बहुत बड़ा हाथ होता है जीवनसंगिनी का त्याग और सहयोग अगर न हो तो शायद,वह व्यक्ति, महापुरुष ही नहीं बन पाता !
राष्ट्रमाता रमाबाई अंबेडकर जी इसी तरह के त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति थी अक्सर महापुरुष की दमक के सामने उसका घर-परिवार और जीवनसंगिनी सब पीछे छूट जाते हैं क्योंकि, इतिहास लिखने वालों की नजर महापुरुष पर केन्द्रित होती है यही कारण है कि माता रमाबाई अंबेडकर जी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं लिखा गया है ऐसे महान क्रांतिकारी वीरांगना माता,को मेरा नीला सलाम परम पूज्य बोधिसत्व भारत रत्न डा बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी ऐसे योद्धा, महामानव का नाम है, जिन्होंने शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद की उपेक्षितों को उनका हक दिलाने के लिए जीवन समर्पित कर दिया। जातिगत भेदभाव पांखडवाद को बढाने वालों के खिलाफ वास्तविक और ठोस लड़ाई छेड़ने वालों में बाबासाहेब जी का उल्लेखनीय नाम है,शोषित समाज को जागृत करने में उनके योगदान को हमेशा सम्मान के साथ याद किया जाएगा |
हम लोग गणतंत्र के महानायक परमपूज्य बाबा साहेब डा. बी.आर. अम्बेडकर जी का हमेशा ऋणी रहेगा जिन्होंने समता समानता पर आधारित दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान दिया परमपूज्य बाबा साहेब आंबेडकर जी ने आजाद भारत में सभी वर्गो की भागीदारी सुनिश्चित की गणतन्त्र के महानायक बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर |भारत के संविधान को सलाम देश के प्रति लड़ने वाले शहीदों को सलाम देश पर अपनी जान निछावर करने वाले गुमनाम शहीदों को सलाम परमपूज्य ,बोधिसत्व, भारतरत्न,डा भीमराव अम्बेडकर जी ने जिस भारत का सपना देख देखा था, वह समानता, स्वतंत्रता और लोकतंत्र के उच्च आदर्शों पर आधारित एक ऐसा देश था, जहां शोषित, स्त्रियां, पिछड़े, वंचित, मजदूर, किसान, आदिवासी सब सुरक्षित रहते और सबके लिए समान अवसर होता संविधान आज भी वही है,लेकिन बाबा साहेब जी की वह आशंका सही साबित हुई, जहां वे कह रहे थे कि ‘हमारा संविधान कैसा है यह इस पर निर्भर करता है कि इसे लागू करने वाले कैसे होंगे आधुनिक भारत के महानतम समाज सुधारक और सच्चे महानायक थे ऐसे महामानव दुनिया के सबसे महान विद्वान परमपूज्यनीय बोधिसत्व भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करतें हुए मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर कोटि-कोटि नमन करता हूं साथियों हमसे मशीहा आधुनिक भारत के युगप्रर्वतक बाबा साहेब आज भले ही हमारे बीच में उपस्थित नहीं हैं, लेकिन उन्होंने एक सफल जीवन जीने का जो मंत्र दिया, उस पर चलकर हम एक नए भारत की ओर बढ़ सकते हैं वे हम सब के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में युगों-युग तक उपस्थित रहेंगे। उनके विचार, उनका जीवनशैली और उनका काम करने का तरीका हमेशा हमें उत्साहित करता है |
बढ रही उनकी विरासत को आगे बढाने की जिम्मेदारी भी हमारे ही कन्धों पर रहेगी, जिससे देश भर में समानता, शिक्षा का प्रसार और महिलाओं को अधिकार मिलने का उनका लक्ष्य पूरा हो सकेगा |
सम्मानित पाठकों परम पूज्य बोधिसत्व भारत रत्न डा बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके विचार आज भी जिंदा है,उनको मानने और जानने वालों की तादाद बहुत तेजी से बढ़ रही है |
‘‘जिसने देश को दी नई दिशा जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान दामोदर घाटी परीयोजना,महानदी डैम,सोनघाटी बांध, दामोदर और हिंराकूड परीयोजना जैसे 15 बड़े बांधों के निर्माण में बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने अहम भूमिका निभाई और उन्हें पुरा कराया | विशेष साभार-बहुजन समाज और उसकी राजनिति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट,दलित दस्तक,लेखक विकिपीडिया,फारवर्ड प्रेस,बीबीसी न्यूज}साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए साथियों आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है,समानता का अधिकार है तो यह सिर्फ और सिर्फ परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है.भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा.इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात खत्म करता हूं। सामाजिक न्याय के पुरोधा तेजस्वी क्रांन्तिकारी शख्शियत परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं
जिसने देश को दी नई दिशा””…जिसने आपको नया जीवन दिया वह है आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जी का संविधान सच अक्सर कड़वा लगता है। इसी लिए सच बोलने वाले भी अप्रिय लगते हैं। सच बोलने वालों को इतिहास के पन्नों में दबाने का प्रयास किया जाता है, पर सच बोलने का सबसे बड़ा लाभ यही है, कि वह खुद पहचान कराता है और घोर अंधेरे में भी चमकते तारे की तरह दमका देता है। सच बोलने वाले से लोग भले ही घृणा करें, पर उसके तेज के सामने झुकना ही पड़ता है ! इतिहास के पन्नों पर जमी धूल के नीचे ऐसे ही बहुजन महापुरुषों का गौरवशाली इतिहास दबा है
मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक/नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया इसका पूरा श्रेय मां कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए !
ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो
साथियों एक बात याद रखना आज करोड़ों लोग जो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो !
साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो”सम्मानित साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !
समस्त देशवासी भाईयों, बहनो,को नमो बुद्धाय सप्रेम जयभीम!
बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है ! इसलिए मैं अमित गौतम जनपद-रमाबाई नगर कानपुर आप लोगो को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा हूं जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में खो गए और उन पन्नों पर धूल जम गई है, उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रहा हूं इस मुहिम में आप लोगों मेरा साथ दे, सकते हैं !पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए कोटि-कोटि नमन करता हूं !
जय रविदास
जय कबीर
जय भीम
जय नारायण गुरु
जय ज्योतिबा फुले
जय सावित्रीबाई फुले
जय माता रमाबाई अम्बेडकर
जय ऊदा देवी पासी
जय झलकारी बाई कोरी
जय बाबा तिलका मांझी
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर
जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी
जय कर्पूरी ठाकुर
जय पेरियार ललई सिंह यादव जय मंडल
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी,स्वाभिमान से जीना सिखाया !

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *