स्कूल आते ही मैडम को नींद सताता है ।नींद में ना जाने क्या क्या ख्वाब आता है
गर्वित मातृभूमि से दुर्गम दास की रिपोर्ट
बुचीपारा / मुंगेली = जी हां हम आपको एक स्कूल के हेड मास्टर साहिबा *हिमेश्वरी बंजारे* के बारे में रूबरू कराना चाहेंगे। जो स्कूल आते ही बच्चों को पढ़ाने के बजाय स्कूल में सो जाया करती है और नींद में ना जाने क्या क्या ख्वाब देखा करती है।।अगर कभी अचानक क्लास में पहुंच गईं तो बच्चे को यह कहकर ऑर्डर दे देती है कि तुमलोग पढ़ो और अपना खुद मोबाइल चलाने में व्यस्त हो जाती है…हैरान कर देने वाली यह पूरी घटना तब पता चली जब हमारी टीम ने स्कूली बच्चों से मिलकर बात चीत की……।आपको बता दे किमुंगेली जिले से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर है ग्राम बुचीपारा जहां के मिडिल स्कूल को बनाया गया है आदर्श स्कूल,जहां पर आप अपने बच्चे को पढ़ाना तो दूर वहा भेजने की कल्पना भी नहीं कर सकते है ।।जिस स्कूल की हेड मास्टर साहिबा ही अगर स्कूल जाते ही अपने कार्यलय चैन की नींद सो जाए उस स्कूल के शिक्षा का स्तर क्या होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते है…….।गौरतलब हो कि,एक ओर माता पिता अपने बच्चों को शिक्षा देकर उसके बेहतर भविष्य की कामना कर रहे हैं….. वहीं दूसरी ओर गुरु कहे जाने वाले शिक्षक ही नन्हें बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते पाए जा रहे है….।जैसा की इतिहास गवाह है भारत देश में गुरुओं का दर्जा सबसे सर्वोत्तम माना जाता है वहीं गुरु ही बच्चों के भविष्य के साथ खेल रहे है …..जहां पर 6, वी 7, वी 8वी के बच्चों को अंग्रेजी के 2 लाइन भी ठीक से पढ़ने नही आता है और यहा तक 6 का पहाड़ा भी बच्चो को नहीं आता है।अब आपको ले चलते है हाई स्कूल की तरफ़ इस स्कूल की भी दास्तां आपको बताते चलते है .. जहां के प्रीसिपल है *नेमकुमार बंजारे* जिनके सर 11 स्कूलों की जिम्मेदारियां भी है…पर यह महोदय जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ते हुए एवं जिस स्कूल में पदस्थ है वहां के बच्चे को भी ठीक से नहीं पढ़ाते है अतः प्राइमरी स्कूल मिडिल स्कूल और हाई स्कूल के शिक्षा की दशा सुधारने के बजाए, अपने कार्यों से जी चुराने वाले शिक्षकों का ही पक्ष लेते नज़र आते है ।।यहां के स्कूल के बच्चे भी बताते है कि मंदिर कहे जाने वाले स्कूल के दीवारों पर यह महोदय घुटका खा कर थूकते रहते हैं और स्कूल के बच्चों को ठीक से पढ़ाते भी नही है कि, यह कहकर की कार्यालय में मेरा मीटिंग रहता है, मैं स्कूल समन्वयक हूं….मुझे अन्य स्कूल निरिक्षण में भी जाना रहता है जबकि कोई स्कूल के निरीक्षण में वह जाया ही नही करते है ।वहीं स्कूल की साफ सफाई व मेंटेनेंस की बात करें तो उसका स्तर शून्य है।जबकि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्कूल शिक्षा समिती को मेंटेनेस के नाम पर बच्चों की संख्या के आधार पर हजारों लाखों में राशी प्रदान की जाती है…। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार की खेल गड़िया योजना व भारत सरकार के समग्र शिक्षा विकास योजना के तहत…. इन तीनों स्कूलों को खेल समाग्री लेने हेतु राशी प्रदान की गई थी जबकि ये तीनों स्कूलों के राशी का भी बंदरबाट हो गया है, यहां तक मिडिल स्कूल में कैश बुक भी नही बनाया गया है…जो सम्पूर्ण भ्रष्टाचार को सिद्ध करता है…।।यहीं मिडिल स्कूल में दूसरे शिक्षक भी है जिनका नाम है *अत्री सिंह ठाकुर* जो संकुल समन्वयक है जिसके सर पर 11 स्कूल की जम्मेदारिया है और जिस स्कूल में पदस्थ है वहां इन्हें 3 परेड पढ़ाना है, जबकि यह महोदय महीने में मुश्किल से 15 दिन ही आते है बाकी दिन गायब रहते हैं.. , इसके बावजूद भी टाइम की इन्हें कोई कदर ही नहीं है… जो सरकार के नियमानुसान 10 बजे तक सभी शिक्षकों को स्कूल पहुंचनी है वहीं देखा जाय तो यह महोदय 12 बजे तो कभी 1 बजे स्कूल पहुंचते है और समय से ही पहले चले जाते है…..।11 स्कूलों की जिम्मेदारियां होने के बाद भी इन स्कूलों में निरीक्षण के लिए यह नहीं जाया करते है….यहां तक ग्रामीणों का आरोप है कि बच्चों के साथ गाली गलौज व मारपीट भी करते है ।।।अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन इस पर क्या कार्यवाही करती है….।।