December 23, 2024

एफएमडी टीकाकरण दल को हरी झंडी दिखाकर मंत्री लखमा ने किया रवाना


एफएमडी टीकाकरण दल को हरी झंडी दिखाकर मंत्री लखमा ने किया रवाना

गर्वित मातृभूमि/सुकमा:- राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत खुराह चपका रोग मुक्त छत्तीसगढ़ शासन के अभियान के तहत संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं के द्वारा 07 नवम्बर को नगर पंचायत दोरनापाल मे कवासी लखमा  वाणिज्य कर,उद्योग एवं आबकारी मंत्री छत्तीसगढ़ शासन एवं  करण सिंह देव  सदस्य जीव-जंतु कल्याण बोर्ड छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा स्थानीय नृत्य दलों के बीच बाजे गाजे के साथ उत्साहपूर्वक एफएमडी टीकाकरण दल को हरी झंडी दिखाकर जिले में 07 नवंबर से 31 दिसम्बर 2022 तक गौवंशीय भैंसवंशीय पशुओं का शत-प्रतिशत टीकाकरण करने हेतु एफएमडी टीके का सघन टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया गया तथा अपने सम्बोधन मे ग्रामीणों, पशुपालकों को अपने अपने पशुओं को खुराह चपका रोग का टीकाकरण कराने हेतु कहा गया।
इस अवसर पर  बोड्डू राजा उपाध्यक्ष जिला पंचायत सुकमा,बबिता मंडावी  अध्यक्षा नगरपंचायत दोरनापाल एवं  जगन्नाथ (राजू) साहू  अध्यक्ष नगर पालिका परिषद सुकमा,शेख जाकिर  उपाध्यक्ष नगर पंचायत कोंटा, सुन्नम नागेश अध्यक्ष जनपद पंचायत कोंटा, जिला एवं जनपद पंचायत सदस्यों,सरपंचों,वार्ड पंचो,पटेल,चालकी, मांझी,कोटवार एवं स्व-सहायता समूहों की महिलाएं उपस्थित थे!
डॉ.एस.जहीरुद्दीन उपसंचालक पशु चिकित्सा विभाग ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य जिला सुकमा को खुराह चपका रोग मुक्त बनाना है !
पशुओं को मुंहपका-खुरपका रोग से बचाव हेतु 23 रूट वह 55 टीकाकरण दल बनाया गया है इनके द्वारा गौठानों एवं ग्रामों में जा कर मुंहपका खुरपका रोग के विरुद्ध प्रतिबंधात्मक एफएमडी टीके का टीकाकरण किया जावेगा ।
जिले मे 3,74,850 पशुओं में टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है।
टीकाकरण कार्य के सुचारू रूप से संचालन हेतु जिले एवं विकासखण्ड स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गयी है। मुंहपका–खुरपका रोग  गाय,भैंस,भेड़, बकरी,सूअर तथा अन्य दो खुरों वाले पशुओ में होने वाला एक अत्यंत संक्रामक रोग है। गौवंशीय-भैंसवंशीय पशुओं को खुरपका-मुंहपका रोग काफी प्रभावित करता है।
यह काफी तेजी से फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी है।
इससे प्रभावित होने वाले पशुओं मे अत्याधिक तेज बुखार के साथ मुँह और खुरों पर छाले और घाव बन जाते हैं।
रोग के असर के कारण कुछ जानवर स्थायी रूप से लंगड़े भी हो सकते हैं,जिस कारण वे कृषि कार्यों मे उपयोग लायक नहीं रह जाते।
इसके संक्रमण से गर्भवती गायों का गर्भपात हो सकता है!
इस रोग से संक्रमित दुधारू पशु मे दूध उत्पादन मे अचानक से गिरावट आ जाती हैं।
अतःइस रोग के कारण कृषकों को आर्थिक हानि व पशुधन की क्षति होती है जिससे कृषि कार्य भी बाधित हो जाते हैं।ऐसे में इस बीमारी के रोकथाम के लिए गौवंशीय-भैंसवंशीय पशुओं का टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है।
पशुधन विकास विभाग जिला सुकमा के द्वारा कृषकों एवं पशु पालकों से अपील किया गया की जिला सुकमा को खुराह चपका रोग मुक्त बनाने अपने-अपने पशुओं को खुराह-चपका संक्रामक रोग के विरुद्ध प्रतिबंधात्मक एफएमडी टीके का टीकाकरण करावें एवं टीकाकरण दल का सहयोग करें!

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