नेता प्रतिपक्ष अन्नपूर्णा प्रभाकर सिंह ने 51000 रुपए की सहयोग
नेता प्रतिपक्ष अन्नपूर्णा प्रभाकर सिंह ने 51000 रुपए की सहयोग
श्री कांत बैकुठपुर
गर्वित मातृभूमि/बैकुठपुर:- नगर पालिका परिषद बैकुंठपुर वार्ड नंबर 16 प्रेमाबाग की पार्षद नेता प्रतिपक्ष नगर पालिका परिषद बैकुंठपुर कोरिया जिले का एकमात्र सिख समाज के गुरुद्वारा मे 51000 राशि देकर नई सुविधाओं का विस्तार कार्य में सहयोग की है सिख समुदाय के लोग दीपावली के 15 दिन बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाते हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकजी की जयंती के दिन को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सिख समुदाय के लोग वाहे गुरु, वाहे गुरु जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं। गुरुद्वारों में सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठानों का सिलसिला शुरू हो जाता है। जो कि देर रात तक चलता है। इस दौरान लोग शबद-कीर्तन करते हैं और रुमाला चढ़ाते हैं। शाम के वक्त लंगर का आयोजन करते हैं। गुरु पर्व के दिन सिख धर्म के लोग अपनी श्रद्धानुसार सेवा करते हैं और गुरु नानकजी के उपदेशों यानी गुरुवाणी का पाठ करते हैं।
यहां जन्में थे गुरु नानक देवजी
गुरु पर्व या प्रकाश पर्व गुरु नानक जी के जन्म की खुशी में मनाया जाता हैं। सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को राय भोई की तलवंडी (राय भोई दी तलवंडी) नाम की जगह पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब में है। इस जगह का नाम ही गुरु नानक देवजी के नाम पर पड़ा। यहां बहुत ही प्रसिद्ध गुरुद्वारा ननकाना साहिब भी है, जो सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। बता दें कि इस गुरुद्वारे को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं। शेर-ए पंजाब नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने ही गुरुद्वारा ननकाना साहिब का निर्माण करवाया था।
सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु
गुरु नानक जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर उपदेश दिए। गुरु नानक जी सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु थे। इन्होंने ही सिख समाज की नींव रखी। इनके अनुयायी इन्हें नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह कहकर पुकारते हैं। वहीं, लद्दाख और तिब्बत में इन्हें नानक लामा कहा जाता है। 1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) की एक धर्मशाला में उनकी मृत्यु हुई। मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए। गुरु अंगद देव ही सिख धर्म के दूसरे गुरु बने। मुख्य रूप से उपस्थित क्षेत्र की विधायक अंबिका सिंह देव संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन गुरु साहिब राजेश शुक्ला बलजीत सिंह काकू सरदार हनी सिंह गुरुद्वारा कमेटी के सदस्य उपस्थित रहे नेता प्रतिपक्ष अन्नपूर्णा प्रभाकर सिंह ने कहा नगर को स्वच्छ सुंदर बनाने में जो भी हमारा सहयोग रहेगा ।मै निश्चित रूप से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करूंगी