मानव शरीर के लिए अपरिहार्य आवश्यकता है आसन प्राणायाम; संतोष अग्रवाल
मानव शरीर के लिए अपरिहार्य आवश्यकता है आसन प्राणायाम; संतोष अग्रवाल
जिला ब्यूरो प्रदीप तिवारी
गर्भवती मातृभूमि /झारखंड /गढ़वा:- योग प्रशिक्षक श्री संतोष अग्रवाल ने दो दिवसीय विहंगम योग समारोह में उपस्थित सभी भक्तों को सामूहिक रूप से आसन प्राणायाम के कुछ नियम सिखाया। महर्षि पतंजलि के अनुसार आसन प्राणायाम निरोग काया के लिए आवश्यक ही नहीं परम अनिवार्य भी है। श्री संतोष अग्रवाल ने आसन प्राणायाम को सिखाते हुए सभी को प्रतिदिन इसकी अभ्यास करने की बात कही। आसन प्राणायाम संपूर्ण योग नहीं बल्कि योग का प्रथम सोपान है। आज विश्व के अंदर योग शब्द का काफी उपहास किया जा रहा है। कुछ संस्थाओं में आसन प्राणायाम को ही संपूर्ण योग्यता कर मानव के शतपथ से भ्रमित किया जा रहा है जबकि योग के अष्टांग नियमों में यह एक सोपान है। योग की पूर्णता सामान्यजन अवस्था में होती है। जहां मन का लय हो जाता है एवं आत्मा अपने शुद्ध स्वरूप में स्थित होकर उस परमानंद को प्राप्त कर लेती है। एक साधक को शरीर से स्वस्थ होना सर्वप्रथम आवश्यक है। विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज ने अपने 17 वर्षों के कठिन साधना के परिणाम स्वरूप अनुभव में प्राप्त ज्ञान और विज्ञान को विश्व के और द्वितीय अध्यात्मिक सदग्रंथ स्वर्वेद में स्पष्ट किया है-
*योग कहता है जोड़ को, योग कहत हैं संधि।*
*योग रहस्य उपाय में ,जीव ब्रह्म की संधि।।*
योग शिविर में माताएं बहने एवं पुरुष वर्ग भाई भी उपस्थित होकर आसन प्राणायाम का प्रशिक्षण लिया एवं अपने मानव शरीर को स्वस्थ रखने सेवा सत्संग साधना मे रत रहने का संकल्प लिया।