December 23, 2024

” धन संपत्ति से अधिक,आपसी संबंधों के कारण से मिलता है सुख ।”

रायपुर/ गर्वित मातृभूमि से दुर्गम दास की रिपोर्ट

रोटी कपड़ा मकान मोटर गाड़ी धन संपत्ति आदि जड़ पदार्थों से संसार में अनेक प्रकार का सुख मिलता है। यह बात ठीक है। “परंतु उससे भी अधिक सुख आपसी संबंधों के कारण से मिलता है।”
माता-पिता का बच्चों के साथ, बच्चों का माता-पिता के साथ, भाई-बहन पति पत्नी चाचा मामा बुआ मौसी इत्यादि जो परस्पर संबंध होते हैं, और कुछ मित्र भी होते हैं। “संसार में जो जो भी संबंध होते हैं, उन संबंधों के कारण बहुत सा सुख मिलता है।”
धन आदि जड़ वस्तुओं से अलग प्रकार का सुख मिलता है। संबंधियों से अलग प्रकार का सुख मिलता है। दोनों की तुलना करें, तो *”धन आदि जड़ वस्तुओं से सामान्य और कम सुख मिलता है, जबकि चेतनों से उसकी तुलना में बहुत अच्छा और अधिक सुख मिलता है। हमें और आपको दोनों प्रकार का सुख चाहिए। दोनों का अपना अपना मूल्य है।”
“परंतु आज का व्यक्ति अविद्या के कारण धन आदि जड़ वस्तुओं के सुख को बड़ा सुख मानने लगा है। और जो सुख, संबंधों के कारण मिलता है, उसको छोटा मानने लगा है।” “इस मिथ्याज्ञान का परिणाम यह हुआ, कि लोग आजकल धन आदि जड़ वस्तुओं को बचाने लगे हैं, और संबंधों को तोड़ने लग गए हैं।” “बाद में जब उन लोगों को संबंध के सुख का मूल्य समझ में आता है, तब वे बहुत पछताते हैं। परंतु तब पछताने से क्या ला भ, जब सब कुछ लुट गया?”
“अतः बुद्धिमत्ता से काम लेना चाहिए। ऐसा काम नहीं करना चाहिए, कि जिससे बाद में पछताना पड़े।”
बुद्धिमत्ता इसी बात में है, कि *”धन आदि जड़ वस्तुओं से कम सुख मिलता है, और माता पिता मित्र आदि चेतन वस्तुओं से अधिक।”* ऐसा सोचना चाहिए। दोनों की तुलना में चेतन मनुष्यों के संबंध को प्राथमिकता देनी चाहिए। *”यदि कहीं धन छोड़ना भी पड़े, तो भले ही छोड़ दें, परन्तु संबंध को बचा लेना चाहिए।”
“संबंधों को बचाना और उनको जीवन भर बनाए रखना, इसी में सुख शांति आनंद और बुद्धिमत्ता है। परन्तु ये सारे संबंध जीवन भर तभी बने रहेंगे, यदि आप सभ्यता की शर्तों और नियमों का पालन करेंगे। जैसे ही आप सभ्यता की शर्तों और नियमों को भंग करेंगे, वैसे ही संबंध कमजोर होना आरंभ हो जाएंगे। और यदि वही प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती रही, तो संबंध धीरे-धीरे कमज़ोर होते जाएंगे, तथा एक दिन टूट जाएंगे।”
“इसलिए संबंधों को टूटने से बचाएं। पूरी शक्ति लगाकर सभ्यता की शर्तों और नियमों का पालन करें। अपने जीवन को सफल और सुखी बनाएं।”

आलेखः ज्योतिष कुमार रायपुर

रिपोर्टर दुर्गम दास

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