December 23, 2024

शीर्षक – विधाता की श्रेष्ठतम रचना व संस्कारों की जननी है नारी — कविता योगेश बाबर

डाकेश्वर साहू (धमतरी):-अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जिला पंचायत वन समिति सभापति श्रीमती कविता योगेश बाबर ने समस्त नारी समाज को महिला दिवस की बधाई प्रेषित करते हुए कहा है कि हर साल हम 8 मार्च को विश्व की प्रत्येक महिला के सम्मान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं आज किस क्षेत्र में महिलाएँ हावी नहीं है हर वह क्षेत्र जहाँ कभी पुरुषों का दबदबा हुआ करता था वहाँ महिलाओं ने न केवल अपनी पह्चान बनायी है बल्कि वह मुक़ाम भी हासिल किया जो कभी उनके लिए दुस्साहसिक स्वप्न के रूप में देखा जाता था कुछ को राष्ट्रीय तो कुछ को अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाज़ा गया जिनमें मुख्य रूप से पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का नाम पहले आता है जिन्होंने ना केवल इस देश की बागडोर सँभाली बल्की इस देश की व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन कर भारत देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में नए क़दम उठाए हैं जिनकी मिसाल आज भी दी जाती है और उन्हें लौह महिला के खिताब से भी नवाज़ा गया श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रपति जैसे पद को सुशोभित किया आज वर्तमान में श्री मति द्रौपदी मुर्मू इस पद को सुशोभित कर रही है और आज महिलाएँ धरती से लेकर अंतरिक्ष तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं सुनीता विलियम्स कल्पना चावला जैसी महिलाएँ अंतरिक्ष में क़दम रख चुकी हैं एवरेस्ट में बछेंद्री पाल जैसी महिलाओं ने भारत का झंडा गाड़ा है ऐसे अनेक नाम है जो चाहे खेल के क्षेत्र में हो समाज में कार्य के क्षेत्र में हो राजनीति में हो आर्थिक क्षेत्र में हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपने दमख़म से अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर अपनी एक अलग पहचान बनायी है कोई एक दिन महिला दिवस नहीं हो सकता हर दिन महिलाओं के लिए हैं आज महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चाहे वह चिकित्सा क्षेत्र हो एयरफोर्स सेना हो पुलिस आइटी का क्षेत्र हो हर क्षेत्र में दमख़म के साथ पुरुषों से बराबरी करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही है और सही मायने में महिला दिवस तभी सार्थक होगा जब विश्वभर में महिलाओं को मानसिक रूप से शारीरिक रूप से संपूर्ण आज़ादी मिलेगी जहाँ उन्हें ना कोई प्रताड़ित करेगा ना कोई उन्हें दहेज के लालच में ज़िंदा जलाया जाये व कन्या भ्रूण हत्या की जाएगी व्यभिचार जैसी घटनाएँ नहीं होंगी उन्हें बाज़ारों में बेचा नहीं जाएगा समाज के हर महत्वपूर्ण फ़ैसले में उनके नज़रिए को महत्वपूर्ण समझा जाएगा कहने का तात्पर्य यह है कि उन्हें भी पुरुषों के समान एक इंसान समझा जाए जहाँ वह सिर उठाकर महिला होने पर गर्व कर सकते है न कि पश्चाताप महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को हर अधिकार प्रदान किया जाए जो सामान्य नागरिकों को प्राप्त होते हैं आज महिलाएँ समाज में राजनीति में आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की तरक़्क़ी का जश्न मनाने का दिन है महिला व पुरुषों में और समानता के प्रति जागरूकता फैलाने का ही अर्थ महिला दिवस मनाना है अतह समस्त नारी समाज से अपील करती हूँ की आओ हम सब महिलाएँ मिलकर एकजुटता के साथ इस समाज में देश में और राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें और एक नये राष्ट्र निर्माण का संकल्प ले ।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *